मंजूरी के बगैर ही तय कर रहे हैं वेतन-भत्ते, गंभीर कार्रवाई की चेतावनी दी

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उत्पल कुमार सिंह

एक ओर सरकार वित्तीय अनुशासन पर जोर दे रही है, दूसरी ओर उसी के महकमे इस अनुशासन को तार-तार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। वित्त की मंजूरी लिए बगैर ही कार्मिकों के वेतन-भत्तों का निर्धारण किया जा रहा है। इससे खफा मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने महकमों की इस करतूत को वित्तीय गड़बड़ी करार देते हुए गंभीर कार्रवाई की चेतावनी दी है। अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों व सचिवों को जारी आदेश में उन्होंने कहा कि उक्त गड़बड़ी मिलने पर संबंधित अधिकारी की चरित्र पंजिका में भी इसे दर्ज किया जाएगा।

सरकार की जानकारी में आया है कि कुछ महकमों ने वेतन और भत्तों के संबंध में तय प्रक्रिया का पालन किए बगैर ही अपने स्तर से फैसला ले लिया। वन महकमे और वन निगम में रेंजर, स्केलर और लौगिंग अधिकारियों के वेतन से संबंधित प्रकरण शासन के सामने आ चुका है। सरकार ने इसे कार्य नियमावली, 1975 के नियम 4 (2) का उल्लंघन माना है। ऐसे प्रकरणों पर सख्ती बरतते हुए मुख्य सचिव ने सभी महकमों को आदेश जारी किया है। उक्त नियम का हवाला देते हुए कहा गया कि पदों की संख्या या श्रेणी या किसी सेवा की सदस्य संख्या, या सरकारी सेवकों के वेतन या भत्ते या उनकी सेवा की किन्ही शर्तो से संबंधित हो, जिसमें वित्तीय मामला निहित हो, इस बारे में निर्णय लेने से पहले वित्त विभाग की सहमति जरूरी है।

मुख्य सचिव ने कहा कि कुछ विभाग वित्त की सहमति के बगैर खुद निर्णय ले रहे हैं। यह स्थिति वित्तीय अनुशासन की दृष्टि से उचित नहीं है। उन्होंने उक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा है। अन्यथा इसे वित्तीय गड़बड़ी मानते हुए संबंधित अधिकारी की चरित्र पंजिका में उक्त गड़बड़ी का उल्लेख किया जाएगा।