आज विश्व पर्यावरण दिवस है, ऐसे में सभी जगह पर्यावरण को बचाने के लिए तमाम वार्ताए और गोष्ठी हो रही है। आस्था से जुडी गंगा को लेकर तमाम राज्य सरकार और केंद्र सरकार समय समय पर दावे तो करती है लेकिन ये दावे लगातार हवाई साबित हो रहे है, गंगा में प्रदुषण का मुख्य कारण बड़ी आबादी वाले छेत्र से गुजरने वाले नाले हे, जो शहर कि तमाम गंदगी को सीधे गंगा में मिला देते है, ऐसे में संत निरंकारी मंडल ने ऋषिकेश के गंगा घाटों को साफ़ रखने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सफाई अभियान चलाया जिसमें 1500 लोगों ने हिस्सा लिया।
गंगा अपने ही घर में मेली है तो दुसरे राज्यों की स्तिति तो और भी भयानक है उत्तराखंड के गढ़वाल छेत्र में गंगा के मुहाने से लेकर हरिद्वार तक कई शहरी और ग्रामीण आबादी वाले नगर पंचायत और पालिका छेत्र है जिन की आबादी और टूरिस्ट डेस्टिनेशन का सारा मल मूत्र सीवर का पानी सीधे गंगा में डाल दिया जाता है क्युकी अभी तक राज्य सरकार उत्तराखंड के गहन आबादी वाले छेत्रो में भी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगा पाई है ऐसे में गंगा लगातार मैली होती जा रही है। संत निरंकारी मंडल ने ऋषिकेश के गंगा घाटों की सफाई का बेडा उठाते हुए विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर गंगा घाटों की सफाई की। इस सफाई अभियान में बच्चे-बूढ़े-जवान हर कोई बड़ी संख्या में शामिल हुए और पर्यावरण की सफाई में अपना योगदान देते दिखे ।
आज लगातार बढ़ते प्रदुषण के कारण गंगा भी अपनी निर्मलता को खोती जा रही है, केंद्र सरकार ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नमामि गंगे की शुरुवात की ,लेकिन गंगा को लेकर अभी तक कोई पोसिटिव रिपोर्ट सामने नहीं आयी है बल्कि गंगा का पानी आज आचमन योग्य भी नहीं बचा है। कार्यक्रम के संयोजक हरीश बागा का कहना है की जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सफाई के लिए आगे आते है वैसे ही हम सबको सफाई अभियान से जुड़ना चाहिए तभी जाकर गंगा नदी और हमारा देश स्वचछ और साफ़ हो सकेगा। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर आज देश भर में सफाई अभियान चलाया जा रहा है लेकिन जरुरत है तो रोजाना इस दिन को मनाने की तब जाकर गंगा और गंगा से सटे इलाकों को साफ़ बनाया जा सकेगा।