नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेटर श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगाने के बीसीसीआई के फैसले को निरस्त करते हुए उन्हें स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों से मुक्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को निर्देश दिया है कि वह श्रीसंत को दी गई सजा पर नए सिरे से विचार करें। कोर्ट ने कहा कि श्रीसंत को दी गई आजीवन प्रतिबंध की सजा अधिक है, बीसीसीआई इस पर 3 महीने में निर्णय ले।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्रीसंत का यह कहना गलत है कि मामले में बरी होने पर बीसीसीआई को उसे सजा देने का अधिकार नहीं है। बीसीसीआई को किसी भी मामले में क्रिकेटर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार होता है। कोर्ट ने कहा कि हमारे फैसले का श्रीसंत के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों पर कोई असर नहीं होगा। सुनवाई क्रिकेटर श्रीसंत ने कहा था कि उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का फैसला गैरकानूनी है। श्रीसंत ने कहा था कि मुझे किसी ने भी गलत काम के लिए संपर्क नहीं किया था। पुलिस ने मुझे हिरासत में लेकर लगातार प्रताड़ित किया और जबरन अपराध कबूलवाया। मैने कोई अपराध नहीं किया।
सुनवाई के दौरान श्रीसंत ने कहा था कि मेरे खिलाफ स्पॉट फिक्सिंग करने का कोई सबूत नहीं है। ऐसे में बीसीसीआई की ओर से मुझ पर जीवनभर के लिए खेलने पर प्रतिबंध लगाना गलत और गैर कानूनी है। श्रीसंत ने कहा कि बीसीसीआई का फैसला बिना कोई ठोस सबूत के आधार पर किया गया है।
श्रीसंत की ओर से कहा गया था कि उनके खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है। केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की गई है। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। जिस फोन कॉल को साक्ष्य के रुप में बताया गया है, उसमें रिश्वत लेने की कोई बात ही नहीं है।
7 दिसंबर 2018 को सुनवाई के दौरान श्रीसंत के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा था कि श्रीसंत 35 साल के हो गए हैं और उनका प्लेईंग करियर बर्बाद हो रहा है। उन्होंने कहा था कि दूसरे क्रिकेटर जो श्रीसंत के साथ स्पॉट फिक्सिंग के आरोपी थे, उन्हें आजीवन प्रतिबंध नहीं झेलना पड़ा। प्रतिबंध की वजह से वे ब्रिटेन में लोकल क्लब क्रिकेट भी नहीं खेल सकते हैं।
पहले की सुनवाई के दौरान श्रीसंत की ओर से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने मांग की थी कि श्रीसंत को स्कॉटलैंड काउंटी लीग मैच में खेलने की अनुमति दी जाए। तब कोर्ट ने कहा था कि श्रीसंत को क्लीन चिट देने के खिलाफ दायर अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट को फैसला करने दें।
पहले की सुनवाई के दौरान सलमान खुर्शीद ने कहा था कि बीसीसीआई के प्रतिबंध की वजह से श्रीसंत ने पिछले पांच सालों से क्रिकेट नहीं खेला है। ये उनके खिलाफ पर्याप्त दंड है। बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि ये खुला मसला है जिसमें फोन की बातचीत से ये साफ हो गया है कि उन्होंने आईपीएल 2013 में पैसे लेकर जान-बूझकर नो बॉल डाल रहे थे।
स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों की जांच के बाद बीसीसीआई ने श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगाया था। इस प्रतिबंध को श्रीसंत ने केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने बीसीसीआई के आदेश पर रोक लगा दी। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ बीसीसीआई ने डिवीजन बेंच में अपील की जिसने सिंगल बेंच के फैसले को निरस्त करते हुए आजीवन प्रतिबंध के फैसले को सही ठहराया था। डिवीजन बेंच के इस फैसले के खिलाफ श्रीसंत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी ।