सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के चार धाम प्रोजेक्ट के मामले पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है। केंद्र सरकार ने हाई पावर्ड कमेटी के चेयरमैन के पत्र पर जवाब देने के लिए समय मांगा है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा उत्तराखंड में हाल में आई आपदा का चारधाम परियोजना से कोई संबंध नहीं है।
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि हाई पावर्ड कमेटी के चेयरपर्सन रवि चोपड़ा ने अपनी मर्जी से पत्र लिखकर सरकार को दिया जिसमें कहा गया है कि चारधाम प्रोजेक्ट का संबंध धौलीगंगा नदी में आई बाढ़ से है जिससे तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट तबाह हो गया। अटार्नी जनरल ने कहा कि रक्षा मंत्रालय चाहता है कि चारधाम की सड़कें बार्डर इंफ्रास्ट्रक्टर के रूप में काम करे ताकि भारत-चीन सीमा पर जरूरत पड़ने पर सेना को भेजा जा सके।
हाई पावर्ड कमेटी के चेयरपर्सन रवि चोपड़ा ने 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा था और उसे केंद्र सरकार के पास भेज दिया था। पिछले 18 जनवरी को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कोर्ट से हाई पावर्ड कमेटी के बहुमत के दृष्टिकोण को स्वीकार करने का आग्रह किया था, जिसने 12,000 करोड़ के चार धाम राजमार्ग प्रोजेक्ट के लिए 10 मीटर सड़क की चौड़ाई का समर्थन किया है। दो दिसंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई पावर्ड कमेटी को निर्देश दिया था कि वो उत्तराखंड में चारधाम प्रोजेक्ट के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने को लेकर रक्षा मंत्रालय और सड़क परिवहन मंत्रालय के आवेदनों पर नए सिरे से विचार करे। कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वो सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क के चौड़ीकरण और चारधाम प्रोजेक्ट के मसले पर नए सिरे से विचार कर रिपोर्ट दाखिल करे।
कोर्ट ने आठ सितंबर 2020 को पक्की सड़क की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर और दोनों तरफ डेढ़-डेढ़ मीटर कच्चे फुटपाथ बनाने की इजाजत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2018 के सर्कुलर के मुताबिक चलें। चारधाम प्रोजेक्ट में उत्तराखंड के चार शहरों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को सभी मौसम के अनुकूल सड़कों से जोड़ने की योजना है। इलके तहत उत्तराखंड में 900 किलोमीटर लंबे नेशनल हाईवे का निर्माण किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद हर मौसम में चार धाम की यात्रा की जा सकेगी।