सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के मामले पर दायर तीन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर कल यानि 18 दिसम्बर को फैसला सुनाएगी।
यह याचिका अभ्युदय मिश्रा, स्कंद वाजपेयी और श्रीरंग कटनेश्वर ने दायर की है। सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील निशांत कटनेश्वर ने कहा कि इस मामले में अटार्नी जनरल ने भी कोर्ट की अवमानना का मामला चलाने की अनुमति दे दी है। उन्होंने कुणाल कामरा के ट्वीट्स को पढ़ते हुए उन्हें न्यायपालिका की गरिमा को गिराने वाला बताया।
अटार्नी जनरल ने 12 नवम्बर को कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। अटार्नी जनरल ने कहा था कि लोग समझते हैं कि वे कोर्ट के बारे में कुछ भी कह सकते हैं लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी अवमानना कानून के अधीन है। अटार्नी जनरल ने कहा था कि मैंने ट्वीट्स देखे हैं। अब यह कोर्ट पर निर्भर है कि वो क्या फैसला करती है। आपराधिक अवमानना का मामला बनता है। अटार्नी जनरल को एक लॉ स्टूडेंट और दो वकीलों ने पत्र लिखकर अवमानना का मुकदमा चलाने की सहमति देने की मांग की थी।
कुणाल कामरा ने अर्णब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत के बाद ट्वीट किए थे। आदेश देने वाले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया था। कुणाल कामरा के 4 ट्वीट के खिलाफ पत्र लिखे गए थे। पत्र में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को मेरिट के आधार पर जमानत दी लेकिन कामरा ने सुनवाई के दौरान और फैसला सुनाने के बाद ट्वीट किए जो न्यायपालिका की गरिमा को गिराने वाले हैं। पत्र में कहा गया था कि कुणाल कामरा के ट्वीटर पर 17 लाख फॉलोवर्स हैं। अगर इस तरह के ट्वीट्स और बयानों पर रोक नहीं लगाई गई तो सोशल मीडिया पर लोग जजों के बारे में अनाप-शनाप लिखना शुरू कर देंगे।