राज्य में बनेगी साइंस सिटी : सीएम

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मंगलवार को ‘विज्ञान धाम’ यू काॅस्ट झाझरा प्रेमनगर में आयोजित ‘उत्तराखण्ड में जलवायु परिवर्तन के खतरों की दिशा में लचीलेपन के लिए अभ्यास और नीति के साथ विज्ञान को जोड़ने’ विषयक कार्यशाला में सूबे के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हिस्सा लिया। सीएम ने इस दौरान घोषणा करते हुए कहा कि राज्य में ’साइंस सिटी’ विकसित की जायेगी। शीघ्र ही हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा केन्द्रीय मंत्रियों का एक सम्मेलन देहरादून में आयोजित किया जायेगा। राज्य में ’ग्रीन रोड’ निर्माण की दिशा में शीघ्र ही प्रभावी पहल की जाएगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने जलवायु परिवर्तन पर आयोजित कार्यशाला का दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया। कार्यशाला में उपस्थित वैज्ञानिक तथा छात्रों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से हम जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में विश्व के भविष्य के संबंध में चिन्तित है। ’’जलवायु परिवर्तन’’ चर-अचर से संबंधित है। यह भी सत्य है कि वैश्विक उत्सर्जन के संदर्भ में भारत सबसे कम उत्सर्जन करने वाले देशों में है। परन्तु जलवायु परिवर्तन का सबसे पहले प्रभाव हिमालयी क्षेत्रों पर पड़ेगा।
जलवायु परिवर्तन का विषय आते ही हमें सबसे पहले ’केदार आपदा’ याद आती है। सभी क्षेत्र, कृषि, वानिकी, समुद्रतल, जलस्तर, मौसम आदि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित है। जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बन चुका है। जलवायु परिवर्तन में विकसित राष्ट्रों ने सबसे अधिक योगदान दिया है। इसमें अमेरिका की विशेष भूमिका रही है। इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मजबूत कदम उठाए तथा आठ बिन्दुओं वाला मिशन आरम्भ किया। जहां एक और जलवायु परिवर्तन से हमारा कृषि उत्पादन कम हो रहा है। ग्लेशियरों के त्रीवता से पिघलने से समुद्री क्षेत्रों के जलमग्न होने का खतरा बढ़ा है। वहीं दूसरी ओर जनसंख्या बढ़ने से भी जलवायु पर दुष्प्रभाव बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे शास्त्रों तथा पौराणिक ग्रन्थों में भी वृक्षारोपण को पुण्य तथा लाभकारी माना गया है। हमारे जनजातिय व वनवासी समुदाय परम्परागत रूप से वनों का संरक्षण करते है। हमें जनजातियों से प्रेरणा लेनी चाहिए। पर्यावरण संरक्षण जैसे विषय पर मात्र सरकार पर ही निर्भर नही रहा जा सकता। इस दिशा में जनता की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। वनाग्नि जैसी घटनाओं को रोकने के लिए जनता की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। हमें पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए मात्र सरकार पर निर्भरता के स्थान पर आत्म प्रयासों व जन सक्रियता पर बल देना होगा। इस दिशा में सोच को बदलना होगा। हमें अपनी समस्याओं को अपने स्तर से सुलझने के प्रयास करने होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ’’ग्रीन रोड’’ कम कीमत तथा बचत के साथ पर्यावरण संरक्षण के साथ पर्यावरण संरक्षण हेतु कारगर पहल है। निश्चित रूप से उत्तराखण्ड में इसका क्रियान्वयन किया जायेगा। प्रधानमंत्री द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों, सौर, जल, न्यूक्लियर आदि सभी की क्षमता विकास के लिए लक्ष्य निर्धारित कर दिए गए है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने इस अवसर पर कार्यशाला के संदर्भ में दो पुस्तिकाओं का विमोचन किया। मुख्यमंत्री को चूरानिर्मित अंगवस्त्र तथा केदारनाथ का स्मृति चिन्ह् भेंट किया गया।
इस अवसर पर विधायक सुरेन्द्र सिंह नेगी, विनोद कण्डारी, वैज्ञानिक राजेन्द्र डोभाल, एसपी सिंह, पीपी ध्यानी आदि उपस्थित रहे।