(हरिद्वार) हरिद्वार में 2021 में होने वाले महाकुंभ मेले के दौरान अखाड़ों की छावनियां बिजनौर ले जाए जाने के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के बयान की संतों ने तीखी निंदा की है।
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि आदि अनादि काल से कुंभ मेले के दौरान सभी अखाड़ों की छावनियां हरिद्वार में ही लगती रही हैं। सभी अखाड़ों के मुख्य कार्यालय हरिद्वार में ही स्थित हैं। उन्होंने कहा कि साधु संतों व अखाड़ों से विचार विमर्श किए बिना ही दिया गया शहरी विकास मंत्री का यह बयान पूरी तरह बचकाना है। कुंभ के दौरान अखाड़ों की छावनियां इतनी दूर दूसरे राज्य के जनपद में ले जाए जाने का कोई तुक नहीं है। व्यवहारिक रूप से भी ऐसा संभव नहीं है।
अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने कहा कि प्राचीन काल से ही कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों की छावनियां हरिद्वार शहर में ही लगती रही हैं। सन्यासी अखाड़ों की छावनियां उनके अखाड़ों में लगती हैं। निर्मल अखाड़े व उदासीन अखाड़ों की छावनियां भी उनके अखाड़ों में ही लगती है। जबकि बैरागी अखाड़ों की छावनियां हमेशा ही बैरागी कैंप में लगती रही है। अब अचानक ऐसा क्या हो गया जो सरकार छावनियों को उत्तर प्रदेश ले जाना चाहती है। बाबा हठयोगी ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार नई परम्परा शुरू करना चाहती है। जिसे अखाड़े कभी स्वीकार नहीं करेंगे। स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि देश विदेश से करोड़ों श्रद्धालु कुंभ मेले में गंगा स्नान व संतों का सानिध्य प्राप्त करने के लिए हरिद्वार आते हैं। कई अन्य संतों ने भी शहरी विकास मंत्री के बयान की निंदा की है।