हरिद्वार कुंभ पर श्रद्धालु यात्रियों के लिए जारी उत्तराखंड सरकार की गाइड लाइन का संत समाज ने विरोध किया है। निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानंद गिरी महाराज ने कहा है कि कुंभ मेले के शाही स्नान पर हरिद्वार में अपार भीड़ उमड़ती है। इसमें कोरोना नियमों का पालन कराना असंभव है। या तो कुंभ का आयोजन किया जाए। या इस आयोजन को न किया जाए।
उन्होंने कहा कि कुंभ का मूल पूजा-पाठ साधना एवं धर्म सभाएं है, जिससे कुंभ निरूपित रहता है। मात्र भीड़ इकट्ठा होना ही कुंभ नहीं है। कुंभ धार्मिक सिद्धांतों कि वह कड़ी है जिससे प्राचीन काल से साधु संत ज्ञान मंथन, सिद्धांत मंथन एवं जनकल्याण मंथन, शादी के अनुष्ठान करके कुंभ की सौम्य शक्ति को स्थापित करते हैं। यदि इसके लिए कानून बनता है तो हम इसका पालन नहीं कर पाएंगे। कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट पर उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति निगेटिव रिपोर्ट लेकर आता है और बाद में वह पॉजिटिव हो जाता है तो उसका क्या उपाय है। शासन को दवा का सहारा लेकर ही सीमित दायरे में जनता को हरिद्वार आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। ताकि सभी लोग इस संक्रमण से बच पाएं।
उन्होंने सवाला किया है कि यदि श्रद्धालु यात्रियों के अलावा स्थानीय व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव निकलता है तो उसके लिए सरकार के पास क्या समाधान है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक सुचारू और सामान्य तरीके से ऐसे सकारात्मक विचारों को प्रकट करके कुंभ को दिव्य और भव्य कराने की चेष्टा करें। खाली कानून बनाने से कुछ नहीं होगा। स्वामी सोमेश्वरानंद गिरी महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री को अखाड़ों एवं आश्रमों के संतों के साथ-साथ प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ वार्ता करके कुंभ की निर्णायक स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए कि कुंभ होगा अथवा नहीं। मुख्यमंत्री का बार-बार बयान बदलना शोभनीय नहीं है। यात्री श्रद्धालुओं में बार-बार भ्रम पैदा हो रहा है। पिछले महत्वपूर्ण स्नानों पर भी यात्री श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। कुंभ से जुड़े किसी भी निर्णय को मुख्यमंत्री को अखाड़ों एवं संतों की सहमति से ही लेना चाहिए।