(टिहरी) केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी नमामि गंगे प्रोजेक्ट के प्रति सरकारी एजेंसी किस कदर लापरवाही बरत रही है, इसका प्रमाण ऋषिकेश के तपोवन (टिहरी जिला) में देखने को मिल रहा है। पेयजल निगम ने यहां 15.85 करोड़ रुपये खर्च कर यहां 3.5 एमएलडी का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तो खड़ा कर दिया, लेकिन ट्रीटमेंट के लिए यहां सिर्फ 0.5 एमएलडी सीवरेज ही पहुंच पा रहा है। लापरवाही का खुलासा तब हुआ, जब प्रोजेक्ट के निरीक्षण के नमामि गंगे की टीम उत्तराखंड आई और उनके सामने जल संस्थान के अधिकारियों ने प्लांट की हकीकत बयां की।
वर्ष 2016 में नमामि गंगे के तहत निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई गंगा पेयजल निगम ने 3.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी तैयार किया। पेयजल निगम ने इस प्लांट के लिए न ही पर्याप्त नेटवर्किंग की और न अन्य माध्यमों से आवश्यक सीवरेज की व्यवस्था। इस प्लांट से निगम सिर्फ 274 कनेक्शनों को ही जोड़ पाया, जिस कारण 3.5 एमएलडी क्षमता वाले इस प्लांट में मात्र 0.5 एमएलडी सीवरेज ही पहुंच रहा है। हैरत की बात यह है कि बिना पूरे सीवरेज की व्यवस्था ही पेयजल निगम ने इस प्लांट को जल संस्थान को हैंडओवर भी कर दिया। हैंडओवर होने के बाद जब जल संस्थान ने प्लांट का निरीक्षण किया तो हकीकत का पता चला। इसके बाद तीन दिन पहले नमामि गंगे के एग्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर रोजी अग्रवाल टीम के साथ उत्तराखंड पहुंचे, जहां अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान जल संस्थान के अधिशासी अभियंता अजय कुमार टीम के सामने प्लांट की मौजूद स्थिति की तस्वीर साफ की। मामला सामने आने के बाद टीम ने कड़ी नाराजगी जाहिर की और प्लांट पर सीवरेज की मात्र बढ़ाने के निर्देश दिए। इसके बाद अधिकारियों ने प्लांट पर 300 नए कनेक्शन जोडऩे की तैयारी शुरू करने का दावा किया है।
पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक भजन सिंह ने बताया कि यह प्लांट कुंभ व अद्र्धकुंभ मेले को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। मेले के दौरान यहां लोगों की संख्या काफी बढ़ जाती है। यदि प्लांट की क्षमता अधिक नहीं होगी तो उस समय सारा सीवरेज गंगा को दूषित करेगा।
ड्रेनेज सिस्टम जोड़ने की तैयारी
लापरवाही सामने आने के बाद पेयजल निगम ने जहां इस प्लांट से नए सीवरेज कनेक्शन जोडऩे की तैयारी शुरू की है। वहीं, अधिकारी अब ड्रेनेज सिस्टम को भी जोडऩे पर विचार कर रहे हैं, जिससे कि आवश्यकता के अनुसार सीवरेज यहां पहुंच सके।