पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ 15 जून को हुई खूनी झड़प में शहीदों की संख्या अब 21 हो गई है। इस हिंसक संघर्ष में बुरी तरह घायल हुए हवलदार बिशन सिंह ने इलाज के दौरान चंडीगढ़ के सैनिक अस्पताल में 14 अगस्त को आंखें मूंद ली। रविवार को उनका अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ काठगोदाम स्थित चित्रशिला घाट पर किया गया।
– इलाज के दौरान चंडीगढ़ के सैनिक अस्पताल में आखिरी सांस
– सैन्य सम्मान के साथ चित्रशिला घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
गलवान घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर 15 जून की शाम को चीनी सैनिकों के साथ हाथापाई से शुरू हुई झड़प आधी रात तक खूनी झड़प में बदल गई थी। करीब 4-5 सौ चीनी सैनिकों के मुकाबले भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में सैनिकों की संख्या महज 106 थी जिसमें उत्तराखंड निवासी हवलदार बिशन सिंह भी शामिल थे। इस हिंसक संघर्ष में 20 जवान शहीद और 76 सैनिक घायल हुए थे। सभी घायलों को लेह स्थित आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में गंभीर रूप से घायल 40 सैनिकों को सेना के विभिन्न अस्पतालों दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू में भेजा गया था। चीन की कायराना हरकत में घायल हुए उत्तराखंड निवासी हवलदार बिशन सिंह को चंडीगढ़ के सेना अस्पताल में भेजा गया था जहां दो माह से उनका इलाज चल रहा था।
मूल रूप से पिथौरागढ़ के मोहनी डीडीहाट के रहने वाले हवलदार बिशन सिंह ने 14 अगस्त को चंडीगढ़ के सेना अस्पताल में दम तोड़ दिया। वह 17 कुमाऊं रेजीमेंट के जवान थे। चीन से तनाव बढ़ने पर उन्हें लेह-लद्दाख भेजा गया था।शहीद हवलदार बिशन सिंह के दो बच्चे हैं। उनका छोटा भाई भी सेना में है। उनका पार्थिव शरीर आज निवास स्थान पर लाया गया। परिजनों के बीच दर्शनार्थ रखे जाने के बाद अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ काठगोदाम स्थित चित्रशिला घाट पर किया गया।