उत्तराखंड राज्य में हो रहे पलायन को रोकने के लिए हर कोई प्रयासरत है।जहां एक तरफ सभी राज्य से हो रहे पलायन को दिखा रहा वहीं कुछ युवा ऐसे भी है जो रिवर्स पलायन कर रहे और अपनी जन्मभूमि को अपनी कर्मभूमि बना रहे हैं।इस कहानी की मुख्य भूमिका में हैं श्रुति जिन्होंने देश और विदेश से ट्रेनिंग लेने के बाद अपनी केक बनाने की कला को अपने शहर में निखारने का प्रण लिया है।
27 साल की युवती है श्रुति माहेश्वरी हल्द्वानी की रहने वाली हैं। प्रारंभिक शिक्षा हल्द्वानी में करने के बाद दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से बीबीए की डिग्री ली। अपनी कला को तराशने के लिए लंडन के कॉलेज ली-कार्डन बिल्यु से पेटिज्री में डिप्लोमा लिया।इसके बाद श्रुति ने ओबरॉय ग्रुप के ट्राइडेंट होटल मुंबई में कुछ समय काम किया, लेकिन अपनी जिंदगी बदलने वाले फैसले में श्रुति ने अपनी जन्मभूमि यानि की उत्तराखंड को चुना। इस समय हल्द्वानी में लोगों की पसंदीदा बेकरी है ‘केक स्मिथ बाई श्रुति‘।अपने केक की मिठास के माध्यम से श्रुति ने बहुत से लोगों के दिल जीते हैं और अब श्रुति केक स्मिथ के माध्यम से लोगों में मशहूर हैं।
श्रुति से टीम न्यूज़पोस्ट की बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्होंने लंडन से डिप्लोमा करने के बाद अपनी करियर की शुरुआत मुंबई के ट्राइडेंट होटल से की जहां काम करने के दौरान उन्होंने अपने ग्रुप के साथ काम करते हुए बहुत से लोगों और सेलिब्रिटी जैसे की सुष्मिता सेन के लिए भी केक बनाया है।श्रुति कहती है कि, “मेरे परिवार ने मुझे हमेशा मेरे काम में सहयोग दिया हैं। इसके अलावा मेरे दो गुरु शेफ ललित मनराल और शेफ एडेलबर्ट एंथोनी डिसूज़ा से भी मैने बहुत कुछ सीखा है।”श्रुति कहती हैं कि, “वैसे तो वह जो कर रही हैं उससे बहुत खुश हैं लेकिन भविष्य में वह डायबिटिज के मरीजों के लिए शुगरलेस केक बनाा चाहती हैं, मैने बहुत से शुगर के मरीज़ देखें हैं जो केक और बेकरी के प्रोडक्ट खाने की इच्छा तो रखते हैं लेकिन अपनी बीमारी की वजह से खा नहीं पाते।” श्रुति कहती हैं ऐसे मरीज़ो को देखकर मुझे शुगरलेस केक बनाने की प्रेरणा मिली है।यह केक शहद और खजूर के शुगर से मिलकर बनेगा जो डायबिटिक मरीज़ बिना किसी डर के खा सकेंगें। श्रुति कहती हैं कि, “मैं चाहती हूं कि मेरा केक ना केवल हल्द्वानी बल्कि आसपास की जगहों तक पहुंचे और लोग बेझिझक फ्रेश और स्वास्थवर्धक केक खा सकें।”
ऐसे बहुत कम लोग है जो दूसरों के बारे में सोचते हैं लेकिन आपको बतादें कि श्रुति ने नए साल यानि की 1 जनवरी को एनएबी नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंड संस्था के बच्चों के लिए 100 चॉकलेट चिप मफीन केक बनाये और उनके पास लेकर गई थीं।श्रुति कहती हैं कि, “उन बच्चो के चेहरे पह वह मुस्कान मेरे लिए मेरे काम की सराहना थी और मुझे यह महसूस करा रही थीं कि मैं सच में एक अलग और शकुन देने वाले प्रोफेशन में हूं।” श्रुति कहती हैं कि आने वाले समय में वह डायबटिज के मरीजों के चेहरों पर भी केक खाते समय यही मुस्कान देखना चाहती हैं।
श्रुति जैसे लोग कम हैं लेकिन लंडने से डिप्लोमा करने और मुंबई में नौकरी करने के बाद भी श्रुति का हल्द्वानी शहर में अपना काम बढ़ाना इस बात का प्रतीक है कि अभी भी बहुत से लोग राज्य में हो रहे पलायन को पीठ दिखाते हुए रिवर्स पलायन का संदेश दे रहै हैं।
श्रुति को टीम न्यूजपोस्ट की तरफ से उनके काम के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।