तो ये था जुुबिन नौटियाल की सक्रियता का राज

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नौटियाल

पिछले कुछ समय से उत्तराखंड में बॉलीवुड स्टार जुबिन नौटियाल की अतिरिक्त सक्रियता का राज अब खुल गया है। अपने पिता जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रामशरण नौटियाल को भाजपा का टिकट दिलाने के लिए जुबिन ने जमकर पसीना बहाया है। भाजपा की पहली सूची में चकराता सीट से उम्मीदवार जुबिन के पिता रामशरण नौटियाल के नाम का ऐलान किया गया है। अब यह तय है कि अपने पिता के लिए जुबिन नौटियाल बतौर स्टार प्रचारक जौनसार क्षेत्र में एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए दिखाई देंगे।

बॉलीवुड में जुबिन नौटियाल पहाड़ का वह सितारा है, जिसकी चमक दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। उनके गाने युवा दिलों की धड़कन बन रहे हैं। साल भर से जुबिन की उत्तराखंड में सक्रियता काफी बढ़ गई थी। स्वाभाविक रूप से जुबिन अपने पहाड़ को प्यार करते हैं। कई बडे़ मंचों पर उन्हें जब-जब मौका मिला, तब-तब उन्होंने पहाड़ी संगीत का जादू बिखेरा है। उत्तराखंड में जुबिन की सक्रियता को देखते हुए यह चर्चा भी उड़ने लगी थी कि वह चुनावी राजनीति में जल्दी ही कूद सकते हैं। उनकी सक्रियता अपने पिता रामशरण नौटियाल को लेकर थी, इसका कोई जल्दी से अंदाजा नहीं लगा पाया। मुख्यमंत्री समेत तमाम अन्य लोगों से मेल-मुलाकात हो या फिर पहाड़ के त्योहारी माहौल में अपने पहाड़ी गीतों के जरिये जन संवाद बनाने की बात हो, जुबिन लगातार कुछ न कुछ करते रहे।

जुबिन के पिता रामशरण नौटियाल का उत्तराखंड की राजनीति में जाना पहचाना नाम है। वह देहरादून जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी अपने राजनीतिक अस्तित्व के अलावा जुबिन के प्रयासों ने उन्हें टिकट दिलाने में खासी मदद दिलाई है। हालांकि इस बार राजनीतिक समीकरण भी इस तरह से बने कि नौटियाल के लिए राह आसान रही।

पिछली बार चकराता सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी और देहरादून जिला पंचायत की अध्यक्ष मधु चौहान को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। मधु ने पूरे दमखम से चुनाव लड़ था और कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार प्रीतम सिंह से वह बहुत कम वोटों के अंतर से हार गई थीं। हरक सिंह रावत को भाजपा से निष्कासित करने के बाद पार्टी के भीतर परिवारवाद के खिलाफ बने माहौल ने भी मधु का टिकट कटवाने में अहम भूमिका निभायी। मधु के पति मुन्ना सिंह चौहान को विकासनगर सीट से टिकट दिया गया है। वह सिटिंग विधायक हैं।

टिकट की जंग में जीत हासिल करने के बाद जुबिन के लिए अब असली चुनौती कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार प्रीतम सिंह से पार पाने की होगी। अपने पिता के पक्ष में जाहिर तौर पर वह पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे। प्रीतम सिंह की स्थिति यह है कि वह न सिर्फ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, बल्कि राज्य गठन के बाद हुए किसी भी विधानसभा चुनाव में कभी नहीं हारे हैं। मुकाबला दिलचस्प होगा और जुबिन का प्रचार चुनाव में इस बार नए तरह के रंग भी बिखेरेगा।