”विलेज मोबाइल सिनेमा” से गांव-गांव पहुंचेगी बॉलीवुड की बेहतरीन फिल्में

0
1081

(देहरादून), ‘‘अच्छा देखो अच्छा करो” की सोच पर काम करने वाला एसओसीएच (SOCH) संस्था, सोशल ऑर्गनाइजेशन फॉर कनेक्टिंग हैप्पीनेस अपने नए अंक में सामाजिक संदेश वाले हिंदी सिनेमा को उत्तराखंड के गांव तक पहुंचा रही है।

सोच संस्था के सदस्य अंकित नेगी का ये अनोखा आइडिया इस हफ्ते लोगों के सामने पेश होगा। इस हफ्ते टिहरी जिले के पट्गली घोंटी गांव के लोगों को एक विजुवल ट्रीट मिलने वाली है।

पहाड़ो में सूरज ढ़लने के साथ ही, मोबाईल सिनेमा के इस भाग में प्रोजेक्टर और सफेद स्क्रीन को इनके बरामदे में लगाया जाएगा और बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर प्रियंका चोपड़ा की फिल्म मैरी कॉम की स्क्रीनिंग की जाएगी जिसे हर कोई साथ बैठ कर देख सकेंगे।

सोच संस्था के अध्यक्ष दीप नेगी ने हमें बताया कि, “बीते कुछ समय से भारतीय सिनेमा में बहुत पॉजिटिव बदलाव देखने को मिला है। बॉलीवुड ने विभिन्न क्षेत्रों से प्रसिद्ध हस्तियों की कई प्रेरणादायक बायोपिक बनाई है। इन फिल्मों ने हमारे समाज को एक साहसिक संदेश दिया है कि कई बार कुछ रास्ते है जिन पर लोग कम सफर करते है लेकिन ऐसे रास्ते हमेशा कुछ अलग देते हैं।कहने का मतलब है कि कई बार कठिन रास्ते आखिरी में बेहतर फल देते हैं।”

इंटरनेट, डी2एच, सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स और लाइव-स्ट्रीमिंग के आने के बाद भी बहुत से लोगों को अभी भी पॉजिटिव कंटेंट फिल्टर करने में मुश्किल होती है। खासकर ऐसा कंटेंट जो पॉजिटिव संदेशों के साथ देखने वालों में जोश भरता है, और सोच संस्था उसी गैप को पाटने की कोशिश कर रहा है। यह मोबाइल-सिनेमा से हमारे गाँव में सभी आयु वर्गों के लोगों को प्रेरित करने के लिए गाँव से गाँव तक सकारात्मक, प्रेरक कहानियों और डॉक्यूमेंट्री को फैलाने की योजना बनाई गई है। खासकर ऐसे गांव जो मनोरंजन से किसी भी रूप से दूर हो गए है।

सोच संस्था के सदस्यों ने बॉलीवुड की कुछ ऐसी ही फिल्मों को चुना है जो वह गांव के लोगों के साथ सांझा करेंगे। ऐसी ही कुछ फिल्मों में दंगल, मैरी कॉम, उड़ान, तारे ज़मीन पर इनकी लिस्ट में शामिल हैं। “हमारा उद्देश्य तब सफल माना जाएगा जब हमारे गांवों के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग इन फिल्मों के कलेक्शन का आनंद ले सकें और अपने साथ एक अच्छा संदेश ले जा सकें और इन फिल्मों की तरह वह भी अपने जीवन के साथ कुछ सकारात्मक करने के लिए प्रेरित महसूस कर सकें। यह हमारे छोटे से प्रयास का एकमात्र उद्देश्य है, “दीप नेगी, कहते हैं।

‘कनेक्टिंग कैरेक्टर’ नाम के इस मिशन से सोच संस्था लोगों को अपने पावर कैरेक्टर से जुड़ने की बात करेगा । सोच संस्था यह आशा करता है कि वह हिंदी सिनेमा की फिल्मों के माध्यम से लोगों को सकारात्मकता दें और पहाड़ी लोगों को प्रेरित करें। इसके अलावा आने वाले समय में बॉलीवुड की फिल्मों के अलावा वह हॉलीवुड और क्षेत्रीय फिल्मों को भी लोगों तक पहुंचाएं।

सोच संस्था के सदस्य विवेक रतूड़ी, देवेंद्र भट्ट के साथ शिवांक थपलियाल को इस पूरे मिशन के लिए विशेष रुप से उल्लेख की जरुरत है क्योंकि ये वो लोग हैं जिन्होंने इतने कम समय के अंदर इस ‘विचार’ को ‘वास्तविकता’ में बदलने का काम किया है।