(हरिद्वार) हरिद्वार में अपने प्रिय नेता अटल बिहारी बाजपेई के अस्थि विसर्जन का समाचार सुनते ही उन लोगों ने राहत महसूस की जो उनको अपने श्रद्धासुमन अर्पित करना चाहते थे। लेकिन स्थानीय भाजपा नेताओं की गुटबाजी व खींचतान के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। राजनीति में बेदाग और विपक्ष पर अमिट छाप छोड़ने वाले सर्वस्पर्शी, सर्व स्वीकार्य व उदारवादी अटल जी की अस्थि विसर्जन यात्रा गुटबाजी में उलझ गई। जिसके चलते यात्रा प्रारम्भ होने के स्थान को बार-बार बदलना पड़ा। इसी असमंजस में लोग अपने प्रिय नेता को श्रद्धासुमन अर्पित नहीं कर सके।
शनिवार की प्रातः अस्थि विसर्जन यात्रा की शुरुआत प्रेमनगर से होना तय हुआ। किन्तु यह स्थान पर्यटन व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज का होने के कारण शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को नागवार गुजरा और उन्होंने मुख्यमंत्री को प्रभाव में लेते हुए स्थान परिवर्तन करवा दिया। जिसके चलते प्रशासन को अपनी तैयारियां पुनः नए सिरे से करनी पड़ी। इसके तत्काल बाद दोपहर में मुख्यमंत्री अपने अमले के साथ शांतिकुंज पहुंचे और लम्बी मंत्रणा के बाद शांतिकुंज से प्रातः 11 बजे अस्थि कलश यात्रा निकाले जाने का निर्णय लिया गया।
इस संबंध में देर रात देहरादून से सरकार द्वारा विज्ञप्ति भी जारी कर दी गई। इसके बाद पुनः स्थान परिवर्तन की सूचना आने लगी। इस बार कलश यात्रा का स्थान डामकोठी बताया गया। किन्तु गुटबाजी को चरम पर होता देख मुख्यमंत्री ने अपने विवेक से न तेरा न मेरा पर अमल करते हुए कलश यात्रा को भल्ला कालेज स्टेडियम से आरम्भ करने पर मोहर लगा दी।
इससे लोग भ्रमित हो गए और नीयत स्थान पर संशय होने के कारण वे अपने प्रिय नेता के अस्थि अवशेष पर श्रद्धासुमन अर्पित नहीं कर सके। यही कारण रहा की जिस दर्जे की अटल जी की सख्शियत थी उसके अनुरूप उनकी अस्थि विसर्जन यात्रा प्रारम्भ के समय भीड़ नहीं जुट सकी और राजनीति में निर्विवाद रहे अटल जी की अंतिम यात्रा को स्थानीय भाजपा नेताओं की गुटबाजी ने विवादित बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।