संसाधनों के आभाव से जूझ रहा है ये प्रतिभाशाली पर्वतारोही

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(देहरादून) राज्य के युवा जहां एक तरफ अपनी मेहनत और लगन से हर क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं वहीं कुछ युवा ऐसे है जिन्हें मौकों की कमी के कारण अपना जूनुन और अपनी उपलब्धियों को ताक पर रखना पड़ रहा है।

ऐसे ही एक युवा है 34 साल के प्रवीन रांगड़ जिन्होंने लगभग 16 साल की उम्र से पर्वतारोहण करना शुरु कर दिया था और देखते ही देखते उन्होंने कठिन-कठिन से रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए। हमेशा से प्रकृति प्रेमी रहे प्रवीन ने अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा महत्व अपने जूनुन को दिया जिसका नतीजा निकला कि वह आज एक नेशनल लेवल के खिलाड़ी हैं। लेकिन सरकार से किसी भी तरह की मदद ना मिलना प्रवीन के लिए एक नासूर बन गया जिसकी वजह से आज वह एक राफ्टिंग कैंप चलाते है और नए लोगों को रिवर गाईड की ट्रेनिंग भी देते हैं।

कम उम्र में प्रदीप ने बहुत सी उपलब्धियां अपने नाम कर ली हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैः

  • प्रवीण ने उत्तरकाशी पर्वातारोहण संस्थान से पर्वारोहण का कोर्स किया।
  • 2009 में जम्मू कश्मीर जवाहर पर्वतारोहण का स्नो स्कींइंग का कोर्स किया।
  • इंटरनेशनल माउंट्रेनिंग सर्टिफिकेट लेकर प्रवीन त्रिशूल,वाइट नीडल,पिनेकल, गंगोत्री, द्रोपदी का डांडा जैसे 21 पर्वतों पर साहसिक अभियान कर चुके है।
  • स्कीँइग स्नो के यह देश के पहले मास्टर डिग्री लेने वाला युवा है।
  • वॉटर स्कीइंग के राज्य के पहले अभयर्थी है जिनके पास मास्टर डिग्री है।
  • गुलमर्ग से वाटर स्कीइंग कोर्स किया है।
  • नेशनल राफ्टिंग दो बार कर चुके है।
  • क्याकिंग नेशनल कर चुके है और साथ ही क्याकिंग के नेशनल कोच रह चुके है।
  • इसके अलावा प्रवीन भारत के सभी पर्वतारोहण संस्थानों में गेस्ट ट्रेनर और लेक्चर देने जाते रहते हैं।

टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में प्रवीन ने बताया कि, “बहुत कम उम्र से एडवेंचर स्पोर्ट में रुझान होने की वजह से मैंने साल 2000 से साहसिक खेल खेलना शुरु कर दिया था और बहुत कम समय में इतना कुछ कर लिया जो एक अंर्तराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों के बराबर है।” प्रवीन ने बताया कि, “उत्तर प्रदेश के ऐसे खिलाड़ी जो शायद मुझसे कम कोर्स किए हुए हैं उन्हें यूपी सरकार ने हर जरुरी मदद मुहैया कराई है और मैं पिछले चार साल से सरकार के पास एवरेस्ट फतह करने के लिए फंड की अपनी अर्जी लेकर जा रहा हूं लेकिन कोई मदद नहीं मिली।”

अलग-अलग संस्थानों में ट्रेनर की तरह काम करने वाले प्रवीन कहते हैं कि, “राज्य के युवा सुविधाओं और सरकारी मदद के अभाव में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भी छोटे-मोटे व्यवसाय करने को मजबूर हैं। उत्तरकाशी जिले का यह युवा आज राफ्टिंग कैंप खोलने पर मजबूर हुए क्योंकि उसकी कला और काबलियत को सही प्लेटफॉर्म नहीं मिला।”

बीते दिनों सरकार ने एडवेंचर स्पोर्ट को जिस तरह से हरी झंडी दिखाई है उससे एक बात तो साफ है कि आने वाले समय में सरकार को प्रवीन जैसे काबिल कोच और ट्रेनर की जरुरत पड़ेगी और हो सकता है उन्हें यह मौका भी मिले।लेकिन प्रवीन जैसे युवा एडवेंचर स्पोर्ट के जानकार को अगर मदद के लिए इतने जूते घिसने पड़ रहे हैं तो उनका क्या होगा जो अभी नए-नए खेलों में आगे आए हैं।

यह तो वक्त ही बताएगा कि प्रवीन का भविष्य में क्या होगा लेकिन एक बात तो साफ है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी राज्य में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें सरकार को काम करने की जरुरत है।हालांकि मौजूदा हालात से एक बात तो साफ होती है कि प्रवीन जैसे खिलाड़ियों के लिए एवरेस्ट फतह करना आसान है लेकिन सरकार से फंड मिलना खासा मुश्किल हैं।