पिरूल से बनी बिजली साढ़े सात रुपये यूनिट की दर से खरीदेगी प्रदेश सरकार

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देहरादून,  मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को ग्राम बेंजी रूद्रप्रयाग में तुंगनाथ महायज्ञ समिति की ओर से ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमदभगवद्, शिव पुराण, शतचण्डी यज्ञ में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 16वीं से 18वीं सदी तक की पर्वतीय लोक संग्रहालय में रखी गई हस्तलिखित पाण्डुलिपि, हस्तलिखित पंच्चाग, शुक्ल यजुर्वेद सहिंता, अगस्त्य संहिता, गढवाली साबर आदि पुस्तकों व बर्तनों का अनावरण किया।
मुख्यमंत्री ने राज्य के उपलब्ध संसाधनों से विकास, स्वरोजगार, भांग, कण्डाली की खेती तथा पिरूल से बिजली उत्पादन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका, पोलैण्ड, इजरायल व अन्य देशों में कण्डाली की डिमांड है। इस दिशा में हम कार्य कर उत्तराखण्ड की आर्थिकी को मजबूत कर सकते हैं। विश्व में एक लिटर भांग के तेल की कीमत साढे चार लाख रूपये है। कण्डाली एनीमिया, कैन्सर व अन्य बीमारियों में लाभप्रद है। पिरूल से उत्पादित बिजली को सरकार द्वारा साढे सात रूपये यूनिट की दर से खरीदा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने जनता को गंगा दशहरा की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ग्राम बेंजी की पवित्र भूमि पर वेदान्त के पराकाण्ड विद्वान माधवाश्रम जी महाराज का जन्म हुआ था। हमारी पौराणिक परम्परा श्रुति(वेद) का अनुसरण आज भी इस ग्रामवासियों द्वारा किया जा रहा है जो अपने आप में विश्ष्टि है। उन्होंने कहा कि देश-काल, परिस्थिति के अनुरूप धर्मगुरूओं ने राष्ट्र व राज्य को अपना मार्गदर्शन दिया है। शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।
ग्राम बेंजी में संग्रहालय खुलेगा संग्रहालय 
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने ब्रह्मलीन माध्वाश्रम महाराज की प्रतिभा व व्यक्तित्व के अनुरूप ग्राम बेंजी में संग्रहालय खोलने की बात कही। संग्रहालय के लिए ग्रामीणों को भूमि चिन्हित कर जिलाधिकारी के माध्यम से एस्टिमेट बनाकर भेजने को कहा। उन्होंने कहा कि यहाँ पर ऐसा केन्द्र बनाया जाएगा जिसे देखने के लिए देश विदेश से लोग आएंगे। इससे गांव की आर्थिकी मजबूत होगी।
पहाड़ को कार्पोरेट डेस्टिनेशन के रूप में किया जाएगा विकसित: पर्यटन मंत्री 
इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि माधवाश्रम महाराज के व्यक्तित्व में पूर्ण पहाड़ की झलक दिखाई देती थी। उत्तराखण्ड में देवस्थलों को सर्किट से जोड़ा जाएगा। पहाड़ को कार्पोरेट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे गावों की आर्थिकी मजबूत होगी।