देहरादून। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर नर्सरी अधिनियम बनाए जाने पर कवायद तेज हो गई है। इतना ही नहीं प्रदेश का नर्सरी एक्ट यूरोपियन देशों के नर्सरी एक्ट के आधार पर तैयार होगा। इसके लिए अन्य देशों के एक्ट का अवलोकन भी किया जाएगा। इसी क्रम में बुधवार को उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की अध्यक्षता में नर्सरी एक्ट तैयार करने के लिए विशेष समिति का गठन किया गया। समिति में छह अन्य सदस्यों को भी नामित किया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देशों के क्रम में प्रदेश में उत्तराखंड फल पौधशाला अधिनियम एवं नियमावली-2017 (नर्सरी एक्ट) के प्रख्यापन के सम्बन्ध में निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। अपर सचिव मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में की गई समीक्षा बैठक के दौरान नर्सरी अधिनियम बनाए जाने के निर्देश दिये गए थे। इसी क्रम में निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। समिति में छह अन्य सदस्य नामित किए गए हैं। समिति में सदस्य के रूप में सगन्ध पादप केन्द्र सेलाकुई के वैज्ञानिक अधिकारी नृपेन्द्र चैहान, भरसार पौड़ी गढ़वाल की उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डा. बीपी नौटियाल, उद्यान अनुसंधान निदेशालय के प्रोफेसर डा. एके सिंह, उद्यान अनुसंधान निदेशालय के प्रोफेसर डा. डीसी डिमरी, उद्यान चैबटिया, रानीखेत अल्मोड़ा के संयुक्त निदेशक डा. आरके सिंह और गोपेश्वर से जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान से डा. बीपी भट्ट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि
फल, सब्जी, मसाले, जड़ी-बूटी, सगंध पादप, मशरूम स्पान, चाय आदि जितनी भी औद्यानिक फसलों का उत्पादन किसानों द्वारा किया जाता है उनके संबंध में एक बहुत ही प्रभावी एक्ट बनना चाहिए। नर्सरी एक्ट में विभिन्न प्लांटिंग मैटेरियल, सीडलिंग, टिश्यू कल्चर आधारित प्लांटिंग मेटीरियल आदि विषयों का भी समावेश किया जाना चाहिए। किसानों द्वारा पौध और बीज केवल नर्सरी स्वामियों से ही नहीं बल्कि डिस्ट्रीब्यूटर, सप्लायर व ट्रेडर से भी खरीदा जाता है। इन्हें उत्तराखंड ही नहीं बल्कि राज्य के अन्दर और राज्य के बाहर यहां तक कि विदेशों से भी आयात किया जाता है। इन विषयों को भी एक्ट में रखने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अधिनियम में यूरोपियन देशों में जो नर्सरी एक्ट लागू है, उसका अवलोकन भी किया जा सकता है, ताकि किसी प्रकार की कोई कमी या कोई चीज छूट न पाए। उक्त विशेषज्ञ समिति उत्तराखंड फल पौधशाला अधिनियम एवं नियमावली-2017 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में प्रत्येक पहलू पर विचार-विमर्श उपरान्त अपनी संस्तुतियां 15 दिन के भीतर शासन को उपलब्ध कराएगी।