प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजक्ट मिशन केदारनाथ को पूरा करने के लिए कसरत तेज हो गई है। एक ओर जहां केदारनाथ पुनर्निर्माण योजनाओं पर विभागीय कसरत पहले ही तेजी पकड़ चुकी है। वहीं, अब प्रमुख पड़ाव गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच रोपवे निर्माण के लिए सर्वे कार्य भी पूरा कर लिया गया है। रोपवे बनने से केदारनाथ और गौरीकुंड की दूरी घटकर नौ किलोमीटर रह जाएगी। इससे यात्रा न केवल सुगम हो जाएगी, बल्कि इससे यात्रा खर्च में भी कमी आएगी। पैदल यात्रा में आमतौर पर छह से सात घंटे लगते हैं, जबकि रोपवे से यह दूरी मात्र तीस मिनट में तय की जा सकेगी।
नौ किलोमीटर घट जाएगी दूरी
समुद्रतल से 11300 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है। यात्रा के प्रमुख पड़ाव गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी 16 किलोमीटर है। पैदल मार्ग से कठिन चढ़ाई के बाद ही बाबा केदार के दर्शन हो पाते हैं। हालांकि केदारनाथ के लिए हेली सेवाओं की सुविधा है, लेकिन आम यात्री के लिए ये काफी महंगी साबित होती हैं। इसके तहत प्रति यात्री करीब आठ हजार रुपये किराया रखा गया है। वहीं, घोड़े से जाने पर किराया दो हजार और पालकी से पांच हजार रुपये पड़ता है। ऐसे में लंबे समय से केदारनाथ को रोपवे से जोडऩे की कवायद की जा रही थी, लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाई।
कंपनियों के रुचि न दिखाने से हुई देरी
पूर्व में सरकार रोपवे का निर्माण पीपीपी मोड में करना चाहती थी, मगर कंपनियों ने रुचि नहीं दिखाई। इस पर सरकार ने स्वयं ही यह जिम्मेदारी उठाने का निर्णय लिया। अब रोपवे निर्माण उत्तराखंड सरकार का उपक्रम ब्रिज रोपवे, टनल एंड अदर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कारपोरेशन (ब्रिडकुल) को सौंपा गया है। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि ढाई अरब रुपये की इस परियोजना का सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया गया। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है। शासन से रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी जिसके बाद केंद्र सरकार की मंजूरी मिलते ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।