विकासनगर। ढालीपुर में संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय के सामने बाग में पिछले कई दिनों से आम के हरे पेड़ों पर आरियां चल रही हैं। बुधवार को स्थानीय लोगों द्वारा इसकी शिकायत एसडीएम जितेंद्र कुमार से की गई। शिकायत मिलने पर मौके पर पहुंचे एसडीएम ने जिला उद्यान अधिकारी को पेड़ काटने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
एसडीएम ने बताया कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बताते चलें कि पछवादून में भू माफिया बड़े पैमाने पर आम व लीची के बागों को काटकर अवैध प्लाटिंग कर रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे बागों का सफाया करने के बाद अब भू माफिया की नजर अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों पर लग गई है। पिछले कुछ दिनों से पांवटा रोड पर ढालीपुर में एआरटीओ कार्यालय के सामने बड़े पैमाने पर आम के हरे पेड़ों को काटा जा रहा था। स्थानीय लोगों द्वारा इसकी शिकायत वन विभाग व उद्यान विभाग के अधिकारियों से की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। बुधवार को इसकी शिकायत स्थानीय बाशिंदों ने एसडीएम से की। मौके पर पहुंचे एसडीएम ने बताया कि बाग में एक दर्जन से अधिक पेड़ काटे गए हैं। जबकि पेट काटने संबंधी अनुमति पत्र मौके पर कोई भी मुहैया नहीं करा पाया। एसडीएम ने जिला उद्यान अधिकारी को बाग काटने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। बकौल एसडीएम जितेंद्र कुमार तहसील क्षेत्र में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वनों की सुरक्षा मानव का नैतिक दायित्व
चकराता वन प्रभाग की रीवर रेंज कर्मियों ने बुधवार को कालसी ब्लाक सभागार में ग्राम प्रधान, वन पंचायत सरपंच सहित अन्य जन प्रतिनिधियों को वनाग्नि रोकने व वन्यजीव सुरक्षा के लिए जागरूक किया। उप प्रभागीय वनाधिकारी सुबोध काला ने मानव-वन्यजीव संघर्ष से बचने के लिए वनों को आग से बचाने, अनावश्यक दोहन रोकने को प्रेरित करते हुए कहा कि मानव व वनों का आपस में गहरा संबंध है। वनों से ही मानव को शुद्ध हवा व जल की आपूर्ति होने के साथ ही आर्थिक संसाधनों की पूर्ति भी होती है।
एसडीओ काला ने कहा कि हरे-भरे वन वन्यजीवों को मानव बस्तियों में आने से रोकते हैं। जिससे मानव व वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा नहीं होती। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से वनों में मानवीय हस्तक्षेप व वनाग्नि की घटना बढ़ने से वनों के साथ ही वन्यजीवों को भी नुकसान पहुंच रहा है। वन्यजीवों को होने वाले नुकसान से पारिस्थितिकीय तंत्र असंतुलित होने के साथ ही मानव व वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है। जिससे मानव वन्य जीव दोनों को ही नुकसान पहुंच रहा है। वन्य जीवों की सुरक्षा मानव का नैतिक दायित्व है, लिहाजा वनों का अनावश्यक दोहन रोकने के साथ ही वन्य जीवों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। संगोष्ठी में वनों को आग से बचाने के उपाय बताते हुए जन प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया गया। साथ ही आग लगने पर वन विभाग की चौकी को सूचित करने की सलाह दी गई। वन कर्मियों ने गांव में वन सुरक्षा दस्ते का गठन कर ग्रामीणों को वनों के प्रति संवेदनशील व जिम्मेदारी का रवैया अपनाने के लिए जागरूक किया।