ऋषिकेश,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के अस्थि शल्य चिकित्सा विभाग में एक युवा एथलीट के घुटने की सफल आर्थोस्कोपी की गई। आपरेशन में दूरबीन विधि से घुटने के मेनिस्कस झिल्ली का सफल प्रत्यारोपण किया गया।
एम्स के अस्थि रोग विभाग के डॉ. तरुण गोयल ने बताया कि देहरादून निवासी एक 25 वर्षीय खिलाड़ी को खेल के दौरान घुटने में चोट लगने से मेनिस्कस झिल्ली फट गई थी, जिससे उन्हें घुटने में दर्द की शिकायत थी। परीक्षण में मेनिस्कस फटने की पुष्टि होने पर बीते मंगलवार को युवा खिलाड़ी के घुटने का मेनिस्कस झिल्ली का दूरबीन विधि से सफलता पूर्वक प्रत्यारोपण कर लिया गया।
डॉ.तरुण गोयल ने बताया कि, “घुटने के मेनिस्कस के ऑपरेशन की यह विधि ट्रेनिंग के अभाव में भारत ही नहीं विदेशों में भी बहुत कम उपयोग होती है। उन्होंने बताया कि रोगी पूरी तरह से स्वस्थ है, मरीज को वार्ड में चलाया गया।” डॉ. गोयल ने बताया कि, “मरीज को दो दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। चिकित्सक के अनुसार संस्थान में उक्त जटिल ऑपरेशन पर करीब 20 हजार का खर्च आया है, जबकि निजी अस्पताल में उक्त ऑपरेशन पर करीब दो लाख का खर्च आता है।” टीम में प्रोफेसर शोभा, सीनियर रेजिडेंट डॉ.आनंद, डॉ.सोविक, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ.अजीत, प्रवीन आदि शामिल थे।
बोन बैंक से मिली मदद: गौरतलब है कि यह सब एम्स संस्थान में स्थापित अस्थि संचय कोष (बोन बैंक) से संभव हो पाया है। डॉक्टर तरुण ने बताया कि पांच दिन पूर्व अस्पताल में एक अन्य 55 वर्षीय व्यक्ति के घुटने का ऑपरेशन किया गया था, रोगी से परामर्श के बाद मेनिस्कस को सुरक्षित रखा गया था। जिसे उक्त खिलाड़ी के घुटने में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर दिया गया।
निदेशक ने किया ट्रेनिंग के लिए प्रोत्साहित :एम्स के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर डॉ. रवि कांत ने बताया कि संस्थान के आर्थो चिकित्सक डॉ. तरुण गोयल को संस्थान की ओर से इसी वर्ष कनाडा व जर्मनी में मेनिस्कस ट्रांसप्लांट की ट्रेनिंग दिलाई गई व इसके लिए प्रोत्साहित किया गया। एम्स निदेशक डॉक्टर रवि कांत ने बताया कि इसके बाद ही संस्थान में इस तरह का जटिल आपरेशन संभव हो पाया है। उन्होंने बताया कि एम्स रोगियों को हर तरह की अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कार्य कर रहा है।