देहरादून, मौसम की मार ने बदलते जलवायु चक्र ने नदियों और जलस्रोतो के भण्डार उत्तराखंड मे अपना गहरा असर दिखाना शुरू कर दिया है। पहाड़ो पर आबाद गाँव के गाँव इस समस्या से झुझ रहे है। आदमी की मूलभूत जरुरत पानी ने ग्रामीणों को पलायान के लिए मजबूर कर दिया है, हर गाव में पानी की कमी और सूखते जलस्रोत के चलते पहाड़ी गाँव पलायान की त्रासदी झेलते हुए खाली हो गया है, जल संस्थन के सर्वे के मुताबिक 5335 ग्रामीण पेयजल योजनाओं से 1154 योजनाओ में 50-70 फीसदी पानी का स्राव घटा है।
हर गाँव मे विकास का दावा करने वाली सरकारों को राजधानी के पास का के गाँव हो या दूरस्थ बसे गाँव आईना दिखा रहे है, अधिकतर गाँव सड़क पर होते हुए भी-पानी जेसी मूलभूत सुविधा के चलते संकट में है। पानी, पलायन की मुख्य वजह बनता जा रहा है, ऐसा नहीं है की लोगो की मांग पर जलसंस्थान ने यहाँ पानी नहीं पहुचाँया, गाँव वाले बताते है की यहाँ लगे हैण्डपंप के सहारे ही जीवन कटता है, वो भी अब गिरते जल स्तर के चलते कम पानी दे रहे है पानी की तलाश में बड़े छोटे सब दिन भर मीलों की दुरी तय करते है।
वही सूबे के पेयजल मंत्री भी मानते है की उत्तराखंड में लगातार गहराते पेयजल संकट से गाँवों को भारी संकट के दौर से गुजरना पड रहा है ,राज्य सरकार इस ओर पूरी तरह प्रयास कर रही है और उनका मंत्रालय इस समस्या से निपटने के लिए एक प्लान तैयार कर रहा, है जिस से जल्द ही इस गंभीर पेयजल समस्या के समाधान अपने का प्रयास किया जायेगा।