ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, केंद्र और राज्य सरकार से 15 नवंबर तक मांगा जवाब

0
825

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की ओर से ‘चारधाम महामार्ग विकास परियोजना’ को दी मंजूरी पर रोक लगा दी है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत ऑल-वेदर संपर्क मार्ग के जरिये यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ा जाना है। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने केंद्र व उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी।

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि एनजीटी पहले ही परियोजना के संबंध में आदेश दे चुका है। याची एनजीओ ‘सिटिजंस फॉर ग्रीन दून’ के वकील संजय पारिख ने कहा कि एनजीटी का आदेश सुप्रीम कोर्ट के 27 अगस्त को दिए आदेश के मुताबिक नहीं है। इस पर पीठ ने चारधाम परियोजना पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर केंद्र व राज्य सरकार से 15 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

एनजीटी ने 26 सितंबर को निगरानी समिति का गठन करते हुए परियोजना को मंजूरी दे दी। अधिकरण ने कहा कि सभी पर्यावरणीय चिंताओं को जिम्मेदार और स्वतंत्र निगरानी प्रणाली के जरिये दूर किया जा सकता है। यह प्रणाली परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान पर्यावरण संबंधी सुरक्षा उपायों की निगरानी कर सकती है।

8542.41 करोड़ रुपये के 37 कार्य हो चुके स्वीकृत 

11,700 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना के तहत 8542.41 करोड़ रुपये के 37 कार्य स्वीकृत हो चुके हैं। 6683.58 करोड़ की 28 योजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। 246.39 करोड़ के तीन कार्य की निविदाओं के अनुबंध हो चुके हैं। 1374.67 करोड़ की चार योजनाओं की निविदाएं प्राप्त हो गई हैं। 237.75 करोड़ के दो कार्य के लिए निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी हैं।

81.50 प्रतिशत वन भूमि हस्तांतरण का काम पूरा
परियोजना के तहत 81.50 प्रतिशत वन भूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके तहत 841.46 किमी लंबाई में भूमि हस्तांतरित होनी है। इसमें से 685.70 प्रतिशत भूमि के हस्तांतरण की स्वीकृति हो चुकी है।

villagers make road without government help

एनजीटी ने वाहनों को लेकर भी दिया था निर्देश

एनजीटी ने स्पष्ट किया कि 22 अगस्त, 2013 की अधिसूचना के जरिये मिली छूट के मुताबिक पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 के तहत पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश यूसी ध्यानी की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की, ताकि परियोजना की पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) के कार्यान्वयन की निगरानी की जा सके।

समिति में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, राष्ट्रीय आपदा आपदा प्रबंधन संस्थान, केंद्रीय मृदा संरक्षण अनुसंधान संस्थान, वन अनुसंधान संस्थान, वन व पर्यावरण विभाग के सचिव और संबंद्ध जिला मजिस्ट्रेट शामिल हैं। एनजीटी ने अधिकारियों को यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे धार्मिक स्थानों की पदयात्रा करने वालों के लिए भी एक तंत्र बनाने को कहा।

अधिकरण ने कहा कि प्रशासन को ऐसी नीति तैयार करने के लिए कहा गया, जिससे 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहन और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन परियोजना की सड़कों पर नहीं चल सकें। एनजीटी का फैसला विभिन्न एनजीओ द्वारा दायर याचिकाओं पर आया था। दरअसल, याचिकाओं में कहा गया था कि परियोजना के कार्यान्वयन की पर्यावरण मंजूरी जरूरी थी। बिना मंजूरी हो रहे कार्य पूरी तरह से अवैध हैं।