देहरादून, राजधानी में स्वाइन फ्लू लगातार पैर पसार रहा है। मरीजों की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं का आलम यह है कि कई मामलों में मरीज के मरने के बाद उनमें स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो रही है। लचर व्यवस्थाओं के चलते अब तक 09 मरीजों की मौत हो चुकी है।
लगातार बढ़ रहे मामले
राजधानी देहरादून में स्वाइन फ्लू थमने का नाम नहीं ले रहा है। दअरसल मैक्स अस्पताल में भर्ती स्वाइन फ्लू से पीड़ित फ्रांस के एक 72 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई। दून में अब तक 9 मौतें हो चुकी हैं, जबकि 15 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। सीएमओ डॉ. एसके गुप्ता के मुताबिक फ्रांस के बुजुर्ग नालापानी इलाके में काफी दिनों से रह रहे थे। वह एक एनजीओ के साथ काम कर रहे थे। 7 जनवरी को उन्हें मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वाइन फ्लू के अलावा उन्हें अन्य बीमारी भी थी। रविवार को उनकी मौत हो गई। बताया कि अब तक 15 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। 9 की मौत हुई है। इसके अलावा तीन मरीज सिनर्जी, एक मैक्स और एक महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती है। जबकि अन्य पांच का विभिन्न अस्पतालों में उपचार चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों को इसकी जानकारी देते हुए अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। साथ ही स्कूलों के लिए अलर्ट जारी किया गया है।
सीबीएसई ने स्कूलों को जारी की एडवाइजरी
सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन यानि सीबीएसई भी स्वाइन फ्लू को लेकर बेहद गंभीर है। बोर्ड ने स्कूलों को एडवाइजरी भी जारी की है। बोर्ड द्वारा जारी किए गए निर्देशों के मुताबिक स्कूलों को जहां एसेंबली और क्लासरूम में बच्चों को रोग से बचाव के तरीके बताने होंगे। वहीं, पीटीएम में अभिभावकों को भी स्वाइन फ्लू को लेकर जागरुक करना होगा। इसके अलावा मैसेज आदि के जरिए भी अभिभावकों को रोग और इससे बचाव की जानकारी प्रदान की जाएगी। सीबीएसई देहरादून के क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया कि, “बोर्ड की ओर से स्कूलों को बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा यदि किसी बच्चे को बुखार जैसी शिकायत है तो अभिभावक को तुरंत जानकारी दें। बोर्ड का मकसद है कि स्वाइन फ्लू जैसे रोग से लड़ाई लड़ने के लिए स्कूलों में जागरुकता अभियान चलाया जाना जरूरी है। यही कारण है कि बोर्ड ने इसे गंभीरता से लेते हुए यह एडवाइजरी जारी की।”
उत्तराखंड में सिर्फ एक लैब
उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू जांच की एकमात्र लैब श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में है। यहां पर कुछ ही घंटों में स्वाइन फ्लू परीक्षण की रिपोर्ट तैयार हो जाती है। एनसीडीसी नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त इस लैब में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं। महंत इन्दिरेश अस्पताल खुद सरकार अस्पतालों में आए रहे संदिग्ध मामलों में स्वाइन फ्लू के सैंपल जांचने के लिए तैयार है, इस बारे में अस्पताल द्वारा पहल भी की गई। लेकिन इसके बावजदू भी सैंपलों को जांच के लिए दिल्ली भेजा जा रहा है। जिस कारण देरी हो रही है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि, “बीते साल स्वाइन फ्लू की जांच संबंधित एक एमओयू प्रस्ताव बनाकर हमने स्वास्थ्य विभाग को भेजा था। लेकिन उसका कोई जवाब अभी तक नहीं मिला है। हमारा ध्येय है कि आम जनता को समय से रिपोर्ट मिल जाए ताकि उसका ट्रीटमेंट समय से शुरू हो सके।”
मौसम में नमी बढ़ा रही परेशानी
स्वाइन फ्लू के वायरस और मौसम में गहरा संबंध है। कम तापमान और ज्यादा नमी के कारण हवा घनी होती है। जो वायरस के एक्टिव होने में मददगार बन रही है। यही कारण है कि स्वाइन फ्लू दून में लगातार अपना असर दिखा रहा है। क्या बच्चे और क्या बड़े, यह हर किसी को अपनी गिरफ्त में ले रहा है।
यह रहें सावधान
– कम उम्र के बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं।
– फेफड़ों, किडनी या दिल की बीमारी।
– मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) बीमारी।
– कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग।
– डायबीटीज।
– जिन्हें अस्थमा की शिकायत रही हो या है।
ये बरतें सावधानी
– भीड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।
– साफ-सफाई का ध्यान रखें और फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही सावधानी बरतें।
– जब भी खांसी या छींक आए तो रुमाल या टिश्यू पेपर इस्तेमाल करें।
– एक दूसरे के मूंह की तरफ छींकने व खांसने से बचें।
– इस्तेमाल किए मास्क या टिश्यू पेपर को ढक्कन वाले डस्टबिन में फेकें।
– थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी से धोते रहें।
– लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने, गले लगने से बचें।
– फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
– बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह छूने से परहेज करें।
– कपड़ों को डिटरजेंट से धोएं। दूसरे कपड़ों को अलग रखें और धूप में सुखाएं।
– फ्लू होने की स्थिति में घर पर आराम करें।
इन बातों का रखें ख्याल
– अनावश्यक यात्रा ना करें।
– पॉजिटिव रोगी के संपर्क में आने से बचें।
– किसी रोगी के पास मुंह पर मास्क लगाए बिना ना जाएं।
– डॉक्टर की सलाह के बिना टैमीफ्लू दवाई न खाएं।
– बच्चों में खांसी या जुकाम हो तो सात दिन स्कूल ना भेजें।