यहां स्कूल की दिवारों पर बिखरता है स्वच्छता का संदेश

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साल 2013 में जब राजेंद्रपाल सिंह परमार ने राजकीय इंटर कॉलेज, मातली के प्रधानाचार्य के रूप में पदभार संभाला, तो उन्होंने एक मिशन शुरू किया, जिसकी वजह से अक्टूबर 2018 में उनके स्कूल को ‘स्वच्छ विद्यालय’ का प्रतिष्ठित खिताब मिला ।

उत्तरकाशी में जिला मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह स्कूल। कक्षा 6 वीं -12 वीं के 286 छात्र-छात्राओं और आठ आधिकारिक कर्मचारियों के साथ-साथ बीस टीचिंग स्टाफ के साथ, इस स्कूल ने बहुत सुर्खियां बटोरी हैं।

इस स्कूल के छात्र और उसके शिक्षक पिछले चार वर्षों से स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं। आज उनका यह अभियान स्कूल की सीमा से आगे बढ़ चुका है, उनके स्वच्छता के इस संदेश ने उन छात्रों के घरों में भी अपना रास्ता बना लिया है जिन्होंने अपने परिवार को कचरे को अलग करना, रसोई और बाथरूम के पानी के लिए एक सोखता गड्ढे और शौचालय के उपयोग की अवधारणा के बारे में सिखाया है।

यहां के छात्रों ने ना केवल स्कूल में बल्कि घर और रास्ते में भी अपने ज्ञान को बांटने की शपथ ली है। बिना कूड़े का यह परिसर दो बार साफ किया जाता है जगह जगह पर डस्टबिन रखे गये है।

गर्व के साथ बात करते हुए, प्रिंसिपल राजेंद्रपाल सिंह परमार हमें बताते हैं, “स्वच्छता अभियान का सकारात्मक प्रभाव सभी को देखना चाहिए, न केवल छात्र बल्कि उनके अभिभावक यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी रसोई और स्नानगृहों का गंदा पानी सड़कों पर खुले तौर पर नहीं बहता है, बल्कि इसके बजाय एक सोखता-गड्ढे में इकट्ठा किया जाता है। यह ek chota say kadam hai ek saaf vatavarn ki taraf.

उनके इस मुहिम की झलक स्कूल की दीवारों पर भी दिखती हैं। छात्रों का एक समूह ने साथ मिल कर स्वच्छ भारत की छवियों और संदेशों के साथ दीवारों को जीवंत किया है, जो आने जाने वालों पर स्वच्छता की जागरुकता की एक छाप छोड़ता हैं।