उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र की तान्या क्षेत्रीय और बालीवुड फिल्मों में काम कर चुकीं हैं। महिला दिवस के अवसर पर न्यूज़पोस्ट की एक कोशिश राज्य की कुछ ऐसी शख्सियत से जुड़ने का जिनके बारें में आप सब जानना चाहते हैं।
तान्या बताती हैं कि उनके दिमाग में इस बात को लेकर कभी कोई संदेह नहीं रहा कि उन्हें एक्टिंग से प्यार है,बहुत छोटी उम्र से ही शीशे के सामने खड़े होकर रोने का अभ्यास करती थीं क्योंकि तब उन्हें लगता था कि एक्टिंग का मतलब केवल रोना ही होता है।समय के साथ तान्या का लगाव एक्टिंग से ज्यादा होने लगा और इसका श्रेय वो अपने पापा को देती हैं,जो खुद एक थियेटर में आर्टिस्ट थे और अलग अलग नाटक को निर्देशित करते थे।तान्या बताती हैं कि जब वह छोटी थी तो अपने पिता जी के साथ उनके रिर्हसल में जाया करती थी और इस तरह से वह एक्टिंग के साथ जुड़ती गई।
तान्या को बतौर एक्टर पहला रोल मिला धर्मवीर भारती के नाटक अंधा युग में जिसमें तान्या ने उल्लू का किरदार निभाया था।जिस उम्र में तान्या को इस नाटक में रोल प्ले करने को मिला उनके लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी।तान्या कहती हैं उस एक रोल के बाद मुझे मेरे कालोनी के लोग पहचानने लगे और मेरे लिए रोल मायने नहीं रखता की मैंने उल्लू का किरदार निभाया या पेड़ का मुझे बस स्टेज पर रहना पसंद था।
यह तो हो गई बात बचपन कि,जब तान्या 11 साल की थी तब उन्हें ऐसा रोल मिला जिसमें उन्हें लाईन भी बोलनी थी और उनके इस किरदार को बहुत सराहना मिली और पहली बार तान्या का नाम अखबार में भी आया। इस सराहना के बाद सही मायनों मे तान्या का थियेटर और फिल्मी कैरियर शुरु हुआ।तान्या कहती हैं कि “एक छोटे से शहर की लड़की के लिए यह एक दूर का सपना था,लेकिन फिर भी उन्होंने निर्णय कर लिया कि उन्हें एक्टिंग ही करनी है।हालांकि यह उनके लिए आसान नहीं था कि एक छोटे से पहाड़ी क्षेत्र से वह एक्टिंग की लाईन में आएं,लेकिन एक बार अगर आप सोच लेते हो कि आपको अपनी जिंदगी में क्या चाहिए तब कोई भी राह मुश्किल नहीं होती और हिम्मत खुद ही आ जाती है।” उन्होंने बहुत से क्षेत्रीय प्रोडक्शन हाउस में काम किया और गढ़वाली फोल्क डांस और नाटक के गुण सीखे,जिसके लिए तान्या के पिता हमेशा से ही उनके प्रेरणास्त्रोत रहे और आज भी उनके पिता गढ़वाल की संस्कृति को बढ़ाने और उसको जिंदा रखने में प्रयासरत हैं।
इतना ही नहीं पहले ही कोशिश में तान्या ने नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के वार्षिक सेलेक्शन राउंड में अपनी जगह बना ली थी जिसकी वजह से तान्या का कांफिडेन्स और बढ़ गया।शुरु से ही तान्या को पता था कि उनको जिंदगी में क्या करना है और धीरे धीरे वह रास्ता तान्या को साफ दिखाई दे रहा था।
2013 में तान्या ने अपना रुख दिल्ली की तरफ मोड़ा,और यह उनकी जिंदगी के लिए परीक्षा का समय था। लगभग डेढ़ साल तक तान्या के पास कोई काम नहीं था।शायद इसका कारण था तान्या का दिल्ली से बाहर एक छोटे से शहर से होना,और वैसे भी दिल्ली में छोटे रोल मिलना भी मुश्किल होता है और उसपर जब आप किसी जाने माने कालेज या थियेटर से संबंद्ध ना रखते हो।
तान्या कहती हैं कि “मुझे इस बात को समझने में थोड़ा समय लगा कि चाहे कुछ भी हो जाए मुझे अपना बेस्ट देना है,और इस दौरान बहुत से लोगों ने मेरे काम की बुराई भी कि और मैं उनको गलत नहीं मानती क्योंकि उसके बाद मैंने अपने आप को सुधारा भी। बहुत से लोगों ने मेरे काम की प्रशंसा भी की जिसकी वजह से एक बैलेंस बना रहा।” तान्या कहती हैं कि मेरे परिवार और मेरे दोस्तों ने मेरे बुरे वक्त में हमेशा मुझे सर्पोट किया और मैं उनकी शुक्रगुजार हूं।
मुश्किल दौर गुजरा और तब तान्या ने दिल्ली में एक्ट-वन एक जाना माना थियेटर ग्रुप ज्वाइन किया जिसके फाउंडर पियूष मिश्रा,मनोज बाजपेयी और एन.के शर्मा जी हैं।एन.के शर्मा एक्टिंग की दुनिया के जाने माने गुरु हैं और उन्होंने बहुत से फिल्मी सितारे जैसे कि अनुष्का शर्मा,इमरान खान आदि को भी एक्टिंग के गुर सिखाएं हैं।
यहां एक्टिंग सीखने के दौरान तान्या ने कुछ अच्छे दोस्त बनाएं,जिसमें से एक दोस्त ने उन्हें आने वाली फिल्म के आडिशन में भाग लेने को कहा। तान्या बताती हैं कि जब वह पहली बार आॅडिशन रुम में घुसी तो कास्टिंग डायरेक्टर ने उनसे एक दूसरे रोल के लिए तैयार होकर आॅडिशन देने को कहा।मैं तैयार हो गई और अगले दिन आॅडिशन के लिए पहुंच गई।
आॅडिशन के लगभग एक महीने बाद तान्या को वह फोन भी आ गया जिसका इंतजार उन्हें बेसब्री से था,तान्या को अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन हाउस की फिल्म एनएच 10 में काम करने का फोन आ चुका था,जो उनकी पहली बालीवुड फिल्म थी।
“एक वो दिन था और एक आज का दिन है, मेरी जिंदगी पहले से थोड़ी व्यस्त जरुर हो गई है लेकिन मैं चाहती भी यही थी।तबसे आज तक मुझे अच्छे प्रोजेक्ट में काम मिला और मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं।” तान्या कहती हैं कि “मैं सबसे यही कहना चाहती हूं कि एक बात जो मैंने अपनी जिंदगी से सीखी है वो यह है कि कोई भी स्थिति स्थायी नहीं होती अगर आप कोशिश करते रहें तो हर मुश्किल राह आसान हो जाती है। जिंदगी में हर उस इंसान का शुक्रगुजार होना चाहिए जिसने आपको हमेशा सर्पोट किया हो।” तान्या के मुताबिक सफलता का एक ही मंत्र है अपने आप में कभी भी विश्वास ना खोना और अपने सपनों को पाने के लिए कोशिश करते रहना।