देहरादून, राज्य की राजधानी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर बसे तौली भूड गांव में इस साल 20 से 26 फरवरी तक पूरे भारत और विश्व के 15-20 पेशेवर कलाकार एक पहल करने वाले है।
कलाकार, अपने पेंट और ब्रश से गाँव के बुजुर्गों से सुनी दस जौनसारी कहांनियों को चित्रों से गाँव की वीरान दीवारों को एक बार फिर जीवित करेंगे।
यह सब देहरादून की इ’वोल्यूशन फाउंडे’शन द्वारा जौनसार क्षेत्र की कला, संस्कृति और इतिहास को एक बाऱ फिर स्थापित, संरक्षित और प्रदर्शित करने के लिए एक विशाल प्रयास कहनी.वर्ल्ड के माध्यम से किया जा रहा है।
अनिरुद्ध आश्रम कलाकारों की मेजबानी करेगा, जबकि शहर और उसके आसपास के विभिन्न संस्थानों के वालिंटियर इस कार्यक्रम के लिए आयोजित बसों में आ-जा सकते हैं।
तौली भूड़ गाँव के पूर्व प्रमुख प्रेम सिंह ने यशपाल सिंह और दिनेश चौहान के साथ तीन महीने तक मेहनत कर, भूले-बिसरे लोकगीतों और कहानियों को इकट्ठा किया, जिन्हें गाँव की दीवारों पर जीवंत किया जा सकता था।
आज, पुरानी यादों के साथ, लगभग 80 साल के प्रेम सिंह कहते हैं, ”मैं बहुत खुश हूं कि मेरे पास कुछ ऐसा है जो इस क्षेत्र की आने वाली पीढ़ियों के साथ साझा करने और गर्व करने के लिए उन्हें प्रेरित कर सकेगा।”
इवोल्यूशन फाउंडेशन की नूपुर अग्रवाल ने हमारे साथ अपनी अवधारणा साझा की, “शहर के भीड़भाड़ और हलचल से दूर तूली भूड़ सबसे अनोखी जौनसारी संस्कृतियों में से एक है, जो विलुप्त होने के कगार पर है, हम इसे संरक्षित करने के लिए अपनी तरफ से एक छोटी सी कोशिश कर रहे हैं।”
यह आयोजन कला और रचनात्मकता की व्यापक क्षमता को प्रदर्शित करने का प्रयास करता है, जिसे भविष्य में क्षेत्र के भावी पीढ़ी द्वारा आगे बढ़ाया जा सकता है।