आपदा आने से पहले सचेत कर देगा शिक्षक का बनाया यंत्र

    0
    776

    उत्तराखण्ड में बीते वर्षों से घट रही आपदा की घटनाओं से दुखी होकर एक शिक्षक ने डिजास्टर रिमोट कंट्रोल प्लेन बनाकर ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने की शोध शुरू कर दी है ताकि क्षेत्रवासियों को बचाया जा सके। उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्र मुनस्यारी के मूल निवासी और हाल ही में नैनीताल जिले के ग्रामीण क्षेत्र कोटाबाग में शिक्षा विभाग में कार्यरत 37 वर्षीय ललित सिंह ने किसी भी आपदा से बचाव के लिए पहले चरण में प्लेन का आविष्कार कर लिया है। मन में मासूम पहाड़ी क्षेत्रवासियों की सुरक्षा का सपना लिए हुए इस नौजवान का पूरा परिवार इसी मकसद में जुटा हुआ है।
    ललित ने बताया कि उनका मकसद यह है कि पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन से आम लोगों के दबकर मरने की घटनाओं को इस प्लेन की मदद से अगर पहले से ही पता किया जाए तो उन्हें समय रहते हुए बचाया जा सकता है। ललित ने कहा कि ये प्लेन उन क्षेत्रों और बादलों के ऊपर उड़ सकता है, जहां घटना की संभावनाएं अधिक रहती हैं। आने वाले समय में वो इसमें जीपीएस सेंसर और कैमरा लगाएंगे, जिससे क्षेत्र की वस्तु स्थिति से रूबरू रहा जा सके। साथ ही ललित ने अपने पहले चरण के अविष्कार से अवगत कराते हुए बताया कि ये एक रिमोट कंट्रोल प्लेन है।
    ललित ने बताया कि ट्राय मॉडल बनाए हैं जो सफल हो रहे हैं। उन्होंने इसके निर्माण में डेपरान शीट, इलेक्ट्रॉनिक स्पीड कंट्रोलर, आउट रनर मोटर, लीथियम पॉलीमर बैटरी 2200 एमएच और 1000 एमएच अलग-अलग मैसेज रिसीवर का इस्तेमाल किया है। इसमें फ्लाई स्काई कंपनी का दो गीगाहर्ट्ज का ट्रांसमीटर भी लगता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इसका सारा सामान लगभग विदेश से आता है। उन्होंने बताया कि एक प्लेन को बनाने में लगभग दस से बीस हजार तक की लागत आती है।

    instrument for disasterललित ने बताया कि इसमें जीपीएस सिस्टम लगने के बाद ये बैक-टू होम आने लगेगा। इसके साथ उन्होंने बताया कि प्लेन की सेंटर ऑफ ग्रेविटी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिस पर पूरा प्लेन काम करता है। ललित ने केवल स्नातक तक की शिक्षा ली है लेकिन अपने मकसद को पाने के लिए उन्होंने अभी भी इंटरनेट से खोज कर इस प्लेन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। वहीं इसका फ्लाई टाइम 5 मिनट से अधिक तक जा चुका है और आगे बढ़ाने की कोशिशें भी जारी हैं। इसकी स्पीड अभी 80 से 100 किलोमीटर तक की है जिसे और भी तेजी देने की कोशिश की जा रही है।
    ललित का मानना है कि सरकारी अनुमति के बाद वो बड़े प्लेन बारसा वुड से बनाएंगे जो अपना काम बखूबी करेंगे। ललित को समस्या है तो केवल फंडिंग की। ललित अभी अपने निजी संसाधनों के बल बूते पर ही राष्ट्र सेवा के इस नेक काम को कर रहे हैं। ललित ने अपने बेटे अभय को भी इस प्लेन निर्माण में लगाने की ठान रखी है। वहीं नैनीताल जिले के ग्रामीण क्षेत्र कोटाबाग में सीमित संसाधनों के बीच ललित के परिवार को सभी ग्रामीणों का नैतिक समर्थन प्राप्त है। ललित की पत्नी प्रेमा और छह वर्षीय बेटा अभय भी उनके इस नेक काम में मकसद कर रहे हैं।