प्रदेश में शिक्षा का स्तर लगातार गिरते जा रहा है जिसके लिए कई बार हाईकोर्ट सरकार को फटकार भी लगा चुकि है, बावजूद इसके प्रदेश के शिक्षा विभाग का सिस्टम है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहा है, सूबे के शिक्षा मंत्री के ही गृह जनपद का हाल ये है कि यहां शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है, जिन शिक्षकों के हाथों में नौनीहालों का भविष्य सौंपा गया है उन शिक्षकों को ये तक नहीं पता कि उनके प्रदेश में कितने जिले हैं और उनके प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन है, एसे में शिक्षा के कर्णधार नौनीहालों का भविष्य कैसे संवारेंगे ये सवाल शिक्षा विभाग के लिए यक्ष प्रश्न है।
सूबे के शिक्षा मंत्री जहां शिक्षा में गुणात्मक सुधार के दावे कर रहे हैं वहीं जिन शिक्षकों के हाथों में नैनीहालों का भविष्य है जब उनकी ही शिक्षा पर सवाल खडे हों तो शिक्षा में सुधार के दावे करना बेमानी ही होगा। जनपद उधमसिंहनगर के कुदय्योवाला गांव में राजकीय प्राथमिक विघालय में तौनात दो शिक्षकों की शिक्षा पर तब सवाल खडे होने लगे जब वो बच्चों को ब्लेकबोर्ड पर वो ज्ञान बांट रहे थे जो उनको भी नहीं आता, आधा अधूरा ज्ञान नौनीहालों को देते हुए शिक्षकों को जहां जिलों के नाम सही से पता नहीं थे वहीं अंग्रेजी में जिलों के नाम की तो पुरी तरह ही टांग तोड कर रख दी गयी, यही नहीं एक शिक्षक ने तो जिलों के पुरे नाम ही नहीं लिखे और अपनी ही मर्जी से जिले तक बना दिये, यही नहीं नौनीहालों को शिक्षा देने वाले गुरुजी को मुख्यमंत्री का नाम तो पता नहीं लिहाजा विभागीय मंत्री को ही मुख्यमंत्री का दर्जा दे डाला, शिक्षकों के इस सामान्य ज्ञान से आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि देश के नौनीहालों का भविष्य किन शिक्षकों के हाथों में, जो देश का भविष्य संवारने के बजाय़ बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हैं।