देहरादून, देर आए दुरुस्त आए। उत्तराखंड में टूरिज्म में ही एकमात्र ऐसा साधन है जिससे उत्तराखंड की आर्थिकी का पहिया चलता है। लेकिन 18 सालों में कई मुखिया बदले कई सरकार आई लेकिन टूरिज्म खासकर एडवेंचर टूरिज्म पर किसी की भी प्लानिंग नजर नहीं आई, यही कारण है आज उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन बिना किसी तामझाम के चलता है। लेकिन एडवेंचर टूरिज्म हमेशा ही प्राइवेट सेक्टर कि मेहनत से आकार ले रहा है, चाहे बंजी-जंपिंग हो चाहे रिवर-राफ्टिंग हो, पैराग्लाइडिंग हो या ट्रैकिंग हो ।राज्य सरकार ना तो कोई नीति बना पाती है, ना तो इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देती है, जिसके चलते मैं समय पर टूरिज्म इंडस्ट्री विवादों में फंस जाती है।
पर्यटन विभाग मात्र अपनी सरकारी जिम्मेदारी की इतिश्री करता नजर आता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नजर नहीं आता।अब जाकर सरकार और पर्यटन विभाग की नींद खुली है, और देहरादून में बैठकर टिहरी झील के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है,जि ससे आने वाले दिनों में टिहरी झील की सूरत बदलेगी और क्षेत्र में नए पर्यटन डेस्टिनेशन का विकास हो पाएगा। टिहरी झील के आस-पास के 44 किलोमीटर क्षेत्र का मास्टर प्लान तैयार करने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। इस मास्टर प्लान के अंतर्गत वाटर स्पोर्ट्स ,वेलनेस, टूरिज्म समेत कई गतिविधियों के लिए अलग-अलग जोन तैयार किए जाएंगे जिससे भविष्य में पर्यटक अपनी पसंद के हिसाब से एडवेंचर टूरिज्म के साथ-साथ उत्तराखंड के प्राकृतिक नजारों का भी लुफ्त उठा सकेगा।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने टिहरी के विकास संबंधित बैठक में अधिकारियों के साथ इन तमाम बिंदुओं पर चर्चा करें और 4,00,00 एकड़ क्षेत्र को विकसित करने के लिए मास्टर प्लान बनाने का आदेश दिया। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि, “टिहरी झील के आस-पास के 44 किलोमीटर के क्षेत्र को प्लांट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा जिसमें एडवेंचर टूरिज्म के साथ-साथ होटल, हाउस बोटस की एक चैन बनाई जाएगी और हवाई मार्ग से जोड़ने के लिए हेलीपैड भी बनाए जाएंगे।
अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आने वाले दिनों में उत्तराखंड में टूरिज्म सेक्टर तेजी के साथ अस्तित्व में आएगा और यहां पर्यटकों की भरमार रहेगी, जिससे क्षेत्र में हो रहा पलायन तो रुकेगा ही साथ-साथ रोजगार की भी नई संभावनाएं जन्म लेंगी।”