उत्तराखण्ड में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के समाधान के लिये राज्य सरकार ने आधुनिक तकनीकी को विकल्प के तौर पर उपयोग में लिए जाने का निर्णय लिया गया है। इस क्रम में टेली रेडियोलाॅजी पद्धति को राज्य के चिकित्सालयों में प्रारम्भ किया जायेगा। टेली रेडियोलाॅजी के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों में तैनात चिकित्सकों द्वारा उपचारित किए जा रहे रोगियों के बारे में जांच एवं विशेषज्ञ मत प्राप्त किए जा सकेगें एवं इस प्रकार रोगी तथा चिकित्सक दोनों के लिए यह पद्धति लाभदायक होगी। भारत में यह पद्धति लागू कराने वाला उत्तराखण्ड पांचवा राज्य है। इससे पूर्व हरियाणा, आसाम, मेघालय एवं आन्ध्रप्रदेश में यह पद्धति कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 135 रेडियोलाॅजिस्ट के पद स्वीकृत है जिसके सापेक्ष कुल 33 रेेडियोलाॅजिस्ट ही कार्यरत है।टेली रेडियोलाॅजी से रेडियोलाॅजिस्ट की कमी दूर होने के साथ-साथ चिकित्सकीय परामर्श का एक सस्ता विकल्प तो है ही साथ ही साथ इस पद्धति से मरीज का 30-40 मिनट के अन्तर्गत सम्पूर्ण परीक्षण किया जा सकता है तथा परीक्षण की रिपोर्ट भी संबंधित चिकित्सक तक पहुंचा जा सकती है।
टेली रेडियोलाॅजी सिस्टम की कार्य प्रणाली की जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य उत्तराखण्ड शासन श्री ओम प्रकाश ने बताया कि, ‘इस प्रणाली के माध्यम से दूरस्थ चिकित्सा इकाई पर भर्ती मरीज का एक्स-रे, सी.टी. तथा एम.आर.आई. एक निर्धारित उच्च गुणवत्ता केन्द्र पर कराया जा सकता है। टेली रेडियोलाॅजी से प्राप्त रिपोर्ट को विशेषज्ञ रेडियोलाॅजिस्ट इलैक्ट्राॅनिक माध्यम से देख सकते है और अपनी राय तथा परामर्श दूरस्थ चिकित्सालय पर तैनात चिकित्सक को सरलता से बता सकते है। इस प्रकार उपचार लेने वाले मरीज को भी बिना रेडियोलाॅजिस्ट से मिले हुए सम्पूर्ण जांच तथा परीक्षण की सूचना प्राप्त हो जाती है।’