काशीपुर। मंदिरों को तुडवाने वाले मुगल बादशाह औरंगजेब कि आखिर क्या मजबूरी थी जो उसको बनाना पड गया मंदिर, क्यों मंदिरों का विरोधी अचानक मान गया मंदिर बनवाने को और कहा बनाया औरंगजेबल ने मंदिर। काशीपुर का एक एतिहासिक मंदिर करता है उस इतिहास को बयां।
मुगल बादशाह औरंगजेब के बारे में अगर आपने कभी इतिहास में पढा होगा तो शायद अाप जानते होंगे कि मुगल बादशाह औरगंजेब ने मंदिरों को तुडवाया था और मंदिर निर्माण का सक्त विरोधी भी था, मगर औरंगजेब कि जिन्दगी में भी एक एसा वक्त आया कि जब उसने भी मानी देवी की शक्ति और सल्तनत के श्रेष्ठ कारिगरों से बनवा डाला देवी बाल सुन्दरी का भव्य मंदिर। कहते हैं कि माता सती का अंग यहा गिरा था और शक्ति पीठ के रुप में इस स्थान पर बाल सुन्दरी माता का स्थान विद्धमान है, माना जाता हैं कि इस स्थान पर पुजा अर्चना करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है और कष्ट रोग दूर होते हैं।
कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब जो मंदिरों को तुडवा रहा था कि तभी उसकी बनह जहांआरा की तबीयत बहुत खराब हो गयी जिसका इलाज करते हर नीम हकीम थक चुके थे। मगर किसी ने बताया कि बाल सुन्दरी देवी के मंदिर में मन्नत मांगने से उनकी बहन जहांआरा ठीक हो सकती है, तो औरंगजेब ने मंदिर में बहन के ठीक होने की मन्नत मांगी और जहांआरा कुछ ही दिनों में ठीक हो गयी जिसके बाद औरंगजेब ने इस मंदिर का जिर्णादार कर एक मिसाल कायम की।
काशीपुर से दो किलोमिटर की दूरी पर बना बाल सुन्दरी देवी का मंदिर औरंगजेब द्वारा उस समय बनाया गया था जब उनके द्वारा मंदिरों के निर्माण पर रोक लगा दी गयी थी। यहां माता बाल सुन्दरी की पूजा पौराणिक काल से की जाती है। कहा जाता है कि कोई भी रोग और संकट इस मंदिर में आने से दूर हो जाते हैं। इस मंदिर की बनावट और आकार मस्जिद नुमा दिखाई देते है।पौराणिक काल से ही मंदिर मान्यता इतनी अधिक रही है कि पाण्डकाल में पाण्डवों के भी इस मंदिर में आने की बात कही जाती है। वहीं अब इस मंदिर को धार्मिक स्थल के रुप में प्रचारित करने और भक्तों की सुविधा के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। चैत्र माह में लगने वाले चैती मेले में लाखों की संख्या में भक्त मां बाल सुन्दरी के दर्शनों को आते हैं जिसकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस और प्रशासन द्वारा पुख्ता इन्तजाम किये जाते हैं।
शिव शक्ति की जहां भी स्थापना हुई उस जगह सदैव ही सुख और शांति रही है यही कारण है कि शक्ति स्वरुप माता के बाल रुप में पूजे् जाने वाली बाल सुन्दरी माता के दर्शन कर भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं, इसी लिए हर साल यहां भव्य रुप से माता की डोली निकाली जाती है।