विपक्ष के साथ-साथ त्रिवेंद्र सरकार के लिए प्रतिष्ठा बनी थराली सीट

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(देहरादून) उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार के लिए थराली उपचुनाव एक लिटमस टेस्ट होने जा रहा है। 2019 के लिए मोदी और योगी की जोड़ी लगातार हाथ पैर मार रही है। वहीं यूपी की कैराना सीट के साथ-साथ उत्तराखंड की थराली सीट भी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुयी है, इस सीट पर जीत त्रिवेंद्र सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

उत्तराखंड में विपक्ष के साथ-साथ खुद अपनों के निशाने पर भी त्रिवेंद्र रावत लगातार बने हुए हैं। ऐसे में थराली सीट का गणित उनके राजनीतिक कद पर भी भारी पड़ सकता है जरा सी चूक किसी भी बड़ी दुर्घटना को न्योता दे सकती है गौरतलब है कि थराली विधानसभा सीट पर एक लाख से ज्यादा मतदाता पांच प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। भाजपा के सामने जहां इस सीट को बचाए रखने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस के पास जीत के जरिये वापसी का मौका है। यानी दोनों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है, ऐसे में यह तय है कि इन दोनों ही दलों के प्रत्याशियों के बीच सीधा आमने-सामने का कडा मुकाबला रहेगा।

भाजपा विधायक मगनलाल शाह के निधन के कारण रिक्त हुई थराली सीट के उपचुनाव के लिये सुबह 8:00 बजे से मतदान शुरू हो गया था, जो शाम 5:00 बजे तक चलेगा। एक नजर यहां के मतदाताओं पर डाले तो कुल 10,2569 मतदाता है, जिनमें 50,991 पुरुष व 49,301 महिला और 3,277 सर्विस वोटर हैं। जो थराली चुनाव के मैदान में उतरे पांच प्रत्याशियों मुन्नी देवी (भाजपा), प्रो.जीतराम (कांग्रेस), कुंवरराम (भाकपा), कस्बीलाल (उक्रांद) व बीरीराम (निर्दलीय) के भाग्य का फैसला करेंगे। साथ ही इस उपचुनाव की विजय हुई दोनों दलों के लिए नए रास्ते भी लेकर आएगी भाजपा में त्रिवेंद्र रावत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है तो कांग्रेस नई उम्मीद के साथ इस चुनाव में उतरी है जो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मजबूती दिलाएगा