सुरेश्वरी देवी मंदिरः जहां इंद्र ने की थी भगवाती की आराधना

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हरिद्वार,  मां दुर्गा और देवी भगवती को समर्पित सुरेश्वरी देवी मंदिर राजाजी राष्ट्रीय पार्क में स्थित है। भेल क्षेत्र से सटे जंगल में मां विराजमान हैं। इस मंदिर को सिद्धपीठ के रूप में भी माना जाता है। मां सुरेश्वरी देवी का मंदिर सूरकूट पर्वत पर स्थित है। सुरेश्वरी देवी मंदिर का पौराणिक महत्व है, इस मंदिर की गणना प्रसिद्ध सिद्धपीठो में की जाती है। जिसका उल्लेख स्कन्दपुराण के केदारखंड में भी मिलता है। जनश्रुति के अनुसार कहा जाता है कि मां सुरेश्वरी के दर्शन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

मां सुरेश्वरी के संबंध में मान्यता है कि चन्द्रवंशी राजा रजी के पुत्र से पराजित और स्वर्ग लोग से निष्कासित भयभीत इंद्र ने देवगुरु बृहस्पति के परामर्श से इसी स्थल पर मां भगवती की स्तुति की। अर्थात इस मंदिर की मान्यता यह कि जब देवराज इंद्र राजा रजी के पुत्र से भयभीत होकर छुप गए तब बृहस्पति गुरु ने उन्हें विष्णु भगवान की स्तुति करने को कहा। भगवान विष्णु की स्तुति करने के बाद विष्णु जी ने कहाकि जो शक्ति है माया, तुम्हारी रक्षा कर सकती है, तुम उन्हीं कि शरण में जाओ, वही मेघ रूप में वर्षा करती है, सूर्य रूप में तपती है, वायु रूप में शोषण करती है। देवराज इंद्र की स्तुति से प्रसन्न होकर माँ भगवती नें इसी स्थान पर इंद्र को दर्शन दिए थे। इन्द्र की आराधना से प्रसन्न होकर उन्होंने इन्द्र को पुनः स्वर्ग का राज्य प्राप्त होने का वरदान दिया था।

देवताओं के राजा इन्द्र द्वारा स्तुति करने और सूरकूट पर्वत पर मां का स्थान होने के कारण ही इनका नाम सुरेश्वरी पड़ा। नवरात्र की अष्टमी, नवमीं तिथि को यंहा विशेष अनुष्ठान होता है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।