प्रतापनगर ब्लाक मुख्यालय को राजधानी के तौर पर विकसित करने के मकसद से 1877 में बनाए गए राजमहल को हेरिटेज के तौर पर विकसित करने कवायद सीएम की घोषणा के बाद शुरू की गई है। पर्यटन विभाग ने राजमहल को संग्रहालय के रूप में विकसित करने के लिए 20 लाख रुपये की धनराशि लोनिवि को डीपीआर व राजमहल के रेनोवेशन के लिए देने की तैयारी कर ली है। जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग से राजमहल को संग्रहालय के रूप में 5 करोड़ रुपये की धनराशि की मांग की है।
इस राजमहल में कुछ समय तक ब्लाक मुख्यालय कार्यालय भी संचालित होता रहा है। ब्लाक मुख्यालय कार्यालय बनने के बाद राजमहल सूना पड़ा था। सीएम ने राजमहल को संग्रहालय के तौर पर विकसित करने की घोषणा टिहरी लेक फेस्टिवल में की थी। इससे यहां के स्थानीय युवाओं में उत्साह का संचार हुआ है। राजमहल तक टिहरी से अब मात्र डेढ़ घंटे में डोबरा-चांठी पुल बनने के बाद पहुंचा जा सकता है। राजमहल से झील के साथ ही हिमालय पर्वत शृंखला का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है।
महल के संग्रहालय बनने से यहां पर्यटन सर्किल विकसित होगा। युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। यहां से पैराग्लाइडिंग सहित कैंपिंग जैसी पर्यटन गतिविधियों को भी अंजाम दिया जा सकता है। पर्यटन अधिकारी एसएस यादव व लोनिवि के ईई केएस नेगी ने बताया कि शुरुआती दौर में पर्यटन विभाग 20 लाख रुपये लोनिवि को देगा। इससे राजमहल का रेनोवेशन होगा और डीपीआर तैयार की जायेगी।
प्रतापनगर के ब्लाक प्रमुख प्रदीप रमोला का कहना है कि राजमहल को हेरिटेज के रूप में विकसित करने से यहां पर रोजगार के असवर पैदा होंगे। उन्होंने राजमहल को संग्रहालय बनाने के साथ ही प्रतापनगर में अन्य पर्यटन गतिविधियां व्यापक स्तर पर चलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यहां तक पहुंच को ओर अधिक सुगम बनाने के लिए नई टिहरी से डोबरा-चांठी पुल होते हुये प्रतापनगर को जोड़ने वाली सड़कों को चौड़ीकरण भी करवाया जाए।
डीएम इवा श्रीवास्तव का कहना है कि प्रतापनगर के राजमहल को संग्रहालय के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया गया है। डीपीआर तैयार की जा रही है। कम से कम पांच करोड़ रुपये की मांग पर्यटन विभाग से गई है।