दो दिवसीय कार्यशाला में प्रदूषण के तीन मुख्य कारण आए सामने

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देहरादून। भारत के पांच शहरों सहित एशिया के 1000 से अधिक शहरों में वायु प्रदूषण मैनेजमेंट पर काम करने वाली क्लीन एयर एशिया संस्था द्वारा देहरादून में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का गुरुवार को सम्पन्न हो गई। यह कार्यशाला उत्तराखंड एन्वार्नमेंट प्रोटेक्शन एंड स्टेट पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड (यूईपीपीसीबी) व देहरादून के थिंक टैंक गति फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित की गई।कार्यशाला में जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन सहित कई अधिकारी शामिल हुए। दो दिन तक हुए मंथन में देहरादून में बढ़ते प्रदूषण पर चिन्ता व्यक्त की गई और बिना देरी किये इसे रोकने के उपाय करने पर जोर दिया गया।
वर्कशाप में प्रदूषण के तीन कारण मुख्य रूप से सामने आये। इनमें वाहनों से निकलने वाला धुआं, सड़कों, भवनों और अन्य निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल और कूड़ा जलाने से निकलने वाला धुआं शामिल हैं। इसे रोकने के लिए सिटी फॉरेस्ट, दीवारों, छतों और गमलों में हरियाली के रूप में प्राथमिक कदम उठाने पर जोर दिया गया। इसके साथ ही इस मुहिम में आम लोगों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने और लोगों को जागरूक करने की जरूरत बताई गई।
डीएम एसए मुरुगेशन से इस आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रदूषण रोकने के लिए सबसे पहले ऐसे काम हाथ में लिये जाने चाहिए जो व्यावहारिक हों और जिनका असर कम समय में देखने को मिले। यूईपीपीसीबी के एसपी सुबुद्धि ने कूड़ा जलाने पर अंकुश लगाने की जरूरत बताई और दून में पीएम-2.5 के मेजरमेंट को जरूरी बताया। वन विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. आरबीएस रावत ने प्रदूषण रोकने में विभिन्न प्रकार की घासों और फर्न आदि के महत्व पर प्रकाश डाला। आरटीओ सुधांशु गर्ग ने कहा सभी वाहनों का पाॅलुशन चेकअप करवाने की जरूरत बताई।
क्लीन एयर एशिया की इंडिया डायरेक्टर प्रार्थना बोहरा ने एक ऐसा एक्शन प्लांन तैयार करने की जरूरत बताई जिसमें शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लांग टर्म लक्ष्य तय किए जाएं और उन पर सभी संबंधित विभाग मिलकर समयबद्ध तरीके से काम करें। वर्कशाप में मौजूद विभिन्न विभागों के अधिकारियों और पर्यावरण पर काम करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सहमति जताई। क्लीन एयर एशिया यूईपीपीसीबी और गति फाउंडेशन ने आने वाले दिनों में मिलकर एक्शन प्लांन तैयार करने की बात कही।
वर्कशाप में प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी चर्चा की गई। सर गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली के छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविन्द कुमार ने चेतावनी दी कि यदि हम आज ही नहीं संभले तो फेफड़ों का कैंसर संक्रामक रोग का रूप ले लेगा। उन्होंने कहा दिल्ली जैसे शहर में जब एक बच्चा पैदा होता है तो जिन्दगी के पहले 24 घंटे में उसके शरीर में 15 सिगरेट जैसा धुआं चला जाता है। इस कार्यशाला में डीएम एसए मुरुगेशन, यूईपीपीसीबी के मेम्बर सेक्रेटरी एसपी सुबुद्धि, नगर निगम के डॉ. आरके सिंह, क्लीन एयर एशिया गति फाउंडेशन, वेस्ट वॉरियर्स, सेडार, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम, एमडीडीए, पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड, वन विभाग, परिवहन विभाग और स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।