गोपेश्वर। गढ़वाल हिमालय की सबसे दुरुह और तकनीकी रूप से कठिन माने जाने वाले माउंट नीलकंठ पर एक दशक के लंबे अंतराल के बाद किसी विदेशी दल ने फतह हासिल की है।गढ़वाल हिमालय की सबसे दुरुह और तकनीकी रूप से कठिन माने जाने वाले माउंट नीलकंठ पर एक दशक के लंबे अंतराल के बाद किसी विदेशी दल ने फतह हासिल की है।गढ़वाल हिमालय की सबसे दुरुह और तकनीकी रूप से कठिन माने जाने वाले माउंट नीलकंठ पर एक दशक के लंबे अंतराल के बाद किसी विदेशी दल ने फतह हासिल की है। अमेरिका के तीन पर्वतारोहियों ने दो अक्टूबर को सुबह नौ बजकर 45 मिनट पर इस हिमशिखर पर यूएसए का ध्वज पहराया।
उत्तराखंड के चमोली जिले के बदरीनाथ खिरों बेली क्षेत्र से 6596 मीटर ऊंचे कठिन हिमशिखर नीलकंठ विजय पताका फहराने का यह एक और रिकॉर्ड बन गया है। अभियान दल को बेस केंप पर सपोर्ट कर रहे जोशीमठ के लोकल टूर ऑपरेटर हाई एडवेंचर के महावीर राणा ने बताया कि एक पुरुष व दो महिलाओं का यह पर्वतारोहियों का यह दल जोशीमठ खिरों वेली से नीलकंठ बेस केंप पर 11 सितम्बर को पहुंचा था। इस दल में एनी गिलर्वट, चेंटी लेस्ट्रोजा, जेसन थामसन के अलावा यूएसए के आइएमएफ के जनसंपर्क अधिकारी और आईबीएक्स दिल्ली के दिगंबर शामिल थे।
अभियान दल की इस सफलता और पर्वतारोहण पर हिमालयी जानकारी रखने वाले संजय कुंवर बताते है कि इस शिखर पर पहली बार 3 जून 1974 में सोनम पुलगार, कन्हैया लाल, दलिप सिंह, निरमा दोरजी जो आईटीबीपी का दल था ने फतह हासिल की थी। दूसरा दल भारतीय पर्वतारोहण अभियान का था, जो 1993 में इंटर नेशनल टीम का थाजिसमें कर्नल एचएस चौहान नेतृत्व कर रहे थे। नाॅर्थ ईस्ट रीच से यह दल नीलकंठ पर चढ़ा था। 2007 में भी एक पर्वतारोहण अभियान दल भी इस चोटी को चुम्बने निकला था। अब एक दशक बाद कोई पर्वतारोही दल इस चोटी को फतह करने में सफल हुआ।
एडवेंचर एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक पंवार ने यूएसए दल के इन पर्वतारोहियों को इस सफलता के लिए बधाई दी। दल के जोशीमठ पहुंचने पर हिमालयन हाई एडवेंचर कंपनी ने फूल मालाओं ने इनका स्वागत किया।