लोसर के रंग में रंगी धर्मगुरू दलाई लामा की नगरी मैकलोड़गंज

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धर्मशाला, धर्मगुरू दलाई लामा की नगरी मैकलोड़गंज में तिब्बती समुदाय का नव वर्ष यानि लोसर का जश्न सोमवार से शुरू हो गया। लोसर को लेकर मैकलोड़गंज सहित साथ लगते क्षेत्रों में रह रहे निर्वासित तिब्बती समुदाय के लोगों में खासा उत्साह है। तिब्बती समुदाय के लोग आज सुबह से ही अपने घरों और बौद्ध मठों में जाकर पूजा अर्चना कर रहे हैं।
मैकलोड़गंज स्थित मुख्य बौद्ध मठ चुगलाखांग में आज सुबह से ही तिब्बती पूजा अर्चना करने पहुंचे। इसके बाद अपने घरों में जाकर एक दूसरे को लोसर की शुभकामनाएं दीं। लोसर के चलते धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के सभी कार्यालय अगले तीन दिनों तक बंद रहेंगे। इस दौरान इन कार्यालयों में काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारी अपने परिवार व रिश्तेदारों के साथ लोसर का जश्न मनाऐंगे। हालांकि कोरोना वायरस की वजह से इस बार लोसर को सादगी से मनाया जा रहा है। तिब्बत से इस बार रिश्तेदारों के न आने से तिब्बती समुदाय बेशक थोड़ा मायूस है लेकिन फिर भी लोसर का यह उत्सव हर कोई मनाने के लिए तैयार बैठा है। उधर इस बार कोरोना वायरस के चलते केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने एक संदेश भी जारी किया है जिसमें लोसर के दौरान मांस का सेवन न करने का आग्रह किया गया है। तिब्बती कैलेण्डर के मुताबिक यह 2147वां वर्ष है।
तिब्बती समुदाय के लिए लोसर हिंदुओं के दिवाली पर्व के बराबर है। जिस तरह हिन्दू समुदाय दिवाली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मानते हैं, उसी तरह तिब्बती लोसर को मनाते हैं। लोग इस दौरान पूजा अर्चना के साथ-साथ पटाखे फोड़कर बुरी आत्माओं को घरों से दूर करने की कामना करते हैं। समुदाय के लोग लोसर से पूर्व देसी मदिरा यानि छांग तैयार करते हैं जिसका सबसे पहले अपने ईष्ट को भोग लगाने के बाद एक दूसरे को परोसा जाता है। इसी तरह खाने के लिए मैदे से खपसे यानि मटर की शेप के व्यंजन तैयार किया जाता है। लोसर का यह पर्व अगले कई दिनों तक चलता रहेगा।
उधर, निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांग्ये सहित तिब्बती संसद के अध्यक्ष और कशाग यानि मंत्रिमंडल ने भारत सहित विदेशों में रह रहे पूरे तिब्बती समुदाय को लोसर की शुभकामनाएं दी हैं।