बाघों की संख्या तो बडी संरक्षण के लिए नहीं 

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    कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बेशक बाघों की संख्या में तो इजाफा हुआ है, लेकिन केंद्र सरकार इनके के संरक्षण के लिए धन देने को गंभीर नहीं है। चार महीने बाद भी सीटीआर को बाघों की सुरक्षा के लिए धनराशि नहीं मिल पाई है।जिसके चलते बाघों की निगरानी करने में दिक्कतों का सामना करना पड रहा है।

    बाघों की अच्छी तादाद के लिए मशहूर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में विशेषकर बाघों की सुरक्षा उनके प्रबंधन समेत अनेक कार्यो के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए से बजट आवंटित होता है। वर्ष 2017-18 के लिए सीटीआर अधिकारियों ने 30 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा था। अपै्रल में भेजे गए इस प्रस्ताव को चार महीने बीतने के बाद भी केंद्र सरकार ने कोई सुध नहीं ली है। ऐसे में सीटीआर को विभाग के जरुरी कार्य कराने के लिए गठित की गई कॉर्बेट फाउंडेशन संस्था में जमा धनराशि निकालनी पड़ रही है। बता दें कि विभागीय कॉर्बेट फाउडेंशन संस्था में पर्यटकों से हुई कुल आय की बीस फीसद धनराशि जमा होती है। साथ ही वन्य जीव प्रेमी भी अपने स्तर से संस्था में धनराशि देकर सहयोग करते हैं।

    कॉर्बेट फाउंडेशन संस्था में अभी विभाग को सलाना हुई कुल आय की 20 फीसद धनराशि विभागीय कार्य के मिलती है। जबकि सीटीआर अधिकारी कुल आय की 50 फीसद धनराशि देने का प्रस्ताव वन मंत्री के समक्ष रख चुके हैं। जिस पर सहमति भी बन गई है। लेकिन आदेश नहीं हुए हैं। जबकि अधिकारियों का कहना है कि प्रस्ताव अप्रेल में भेजा था। समय से धनराशि नहीं मिलने से दिक्कत तो हो ही रही है। फाउडेंशन की धनराशि से जरुरी काम ही चलाया जा रहा है।