क्षेत्र में अभी दो बाघों की मौजूदगी से दहशत

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दो लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले बाघ से भले ही लोगों को निजात मिल गई,लेकिन सावधान खतरा अभी टला नहीं।  खतरे के बादल अभी भी वन रेंज में मंडरा रहा हैं। अभी दो बाघों की मौजूदगी है… जो लोगों के लिए दहशत बना है गौरतलब है कि रामनगर रैंज में बीते दिनों बाघ के हमले से दो लोगों की मौत के बाद बी अभी दो बाघों की मौजूदगी लोगों के लिए दहशत बना है…जनवरी में वन विभाग की ओर से लगाए गए कैमरा ट्रैप में दस वर्ग किमी के दायरे में अलग-अलग जगह पर पांच बाघ व एक बाघिन की तस्वीर आई थी।
कम वन क्षेत्र में छह बाघों की मौजूदगी आपसी संघर्ष की वजह बन गई। बाघों के बीच वर्चस्व कायम करने के लिए जंग होती रही। इस जंग में 19 जनवरी को देचौरी, 16 फरवरी को बैलपड़ाव, 22 फरवरी को फिर बैलपड़ाव में एक बाघ मारा गया। 16 मार्च को दो इंसानी जीवन को खत्म करने के बाद एक और बाघ ने रेस्क्यू के बाद दम तोड़ दिया। यह बाघ भी पूर्व में आपसी संघर्ष में घायल हो गया था।

छह में से चार बाघ खत्म होने के बाद अभी भी छोई के वन क्षेत्र में एक बाघ व एक बाघिन घूम रही है। ऐसे में जनसुरक्षा को लेकर वन विभाग के अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। बाघों की मौजूदगी से क्यारी, छोई, बैलपड़ाव, टेड़ा आदि गांव में खतरा बरकरार है।जिसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने अलर्ट घोषित किया है वहीं सुरक्षा की दृष्टी से लोगों को सचेत करने के लिे उपाय बताये गये हैं…छोई, टेड़ा, क्यारी, बैलपड़ाव से सटे वन क्षेत्रों में जाने,समूह के रूप में शोर करने,जलस्रोत व नालों के आसपास ना जाने,वन क्षेत्र से निकलने वाली सड़क पर देर शाम व रात में अकेले न जाने की हिदायद भी दी गयी है।