शिकारी बढ़े तो बाघों का कुनबा भी बढ़ा

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बाघों के लिए उत्तराखंड घाटे और फायदे दोनों का क्षेत्र बन रहा है। इस बात का संकेत है कि उत्तराखंड में ऊंचे स्तर तक शिकारियों की पैठ है। लगभग 12 से अधिक बाघ पिछले दिनों मार गए थे। वहीं, उत्तराखंड में कार्बेट रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बाघों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी हुई है।

पिछले दिनों अखिल भारतीय स्तर पर बाघों की गणना की गई थी। जिसमें देशभर के 50 बाघ आरक्षी क्षेत्रों में उत्तराखंड सबसे आगे बढ़ा है, हालांकि यहां भी शिकार हुआ है पर अन्य बाघ आरक्षित क्षेत्रों की तुलना में यहां बाघ ज्यादा पाए गए हैं। इस गणना में उत्तराखंड में 433 बाघ मिले हैं, जो अपने आप में बाघों के लिए ही नहीं वन्य पशु प्रेमियों के लिए भी खुशी की खबर है।

वन्य जीव संस्थान के सूत्र बताते हैं कि 14 हजार फीट की ऊंचाई वाले अस्कोट, केदारनाथ और खतलिंग में स्नोलेपर्ड के लिए लगाए गए कैमरों में तीन टाइगर ट्रेप हुए हैं। इसके अलावा हरिद्वार चिड़ियापुर में चार टाइगर, तराई पश्चिमी एवं पूर्वी बफर जोन में भी इसकी मौजूदगी मिली है।

वन्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड में टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बाहर 119 बाघ मिले हैं। वहीं देशभर के 50 टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के बाहर 433 बाघ मिले हैं। विभाग की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि इनकी सुरक्षा के लिए केंद्र एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर से सहयोग किया जाए।