दून की भीड़ में खोया हुआ एक ”टिल्टेड मंदिर”

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रोमांच और खुशनुमा मौसम के लिए मशहूर देहरादून शायद एक ऐसा शहर है जिसके आसपास कुछ ऐसी जगह है जो पल भर में आपको भीड़-भाड़ और ट्रेफिक से दूर कर देती है और शांति के बीच ले जाता है।

एक ऐसी ही जगह है देहरादून की ओल्ड मसूरी रोड पर स्थित। ओल्ड मसूरी रोड पर लगभग 200मीटर आगे आपकी बाईं तरफ एक बहुत ही पुराना मंदिर दिखता है। देखने में नया दिखने वाला यह पीला गुलाबी मंदिर 1800 शताब्दी में अंग्रेजों द्वारा राजपुर के ओल्ड मसूरी रोड पर काम करते हुए दोबारा ढ़ूंढा गया था। इस मंदिर की खास बात है इसका टेढ़ापन, जी हां यह मंदिर टेढ़ा है। इस मंदिर के बारे में ना तो गूगल पर कुछ है ना ही किसी को इसके बारे में ज्यादा जानकारी है। लेकिन बहुत खोज करने पर जो थोड़ा बहुत मिला वह इस प्रकार है।

ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर बहुत साल पहले किसी लैंडस्लाईड में दब चुका था लेकिन भगवान में श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालुओं ने इसे दोबारा ढ़ूंढा और इस मंदिर की मरम्मत करा अाज भी इसमें भगवान की पूजा पाठ होती हैं।

मंदिर में पूजा करता श्रद्धालु
मंदिर में पूजा करता श्रद्धालु

प्राचीन समय का यह मंदिर उस समय एक खाली जगह पर बना हुआ भजन स्थल था जहां आसपास की औरतें मिलकर भजन गाया करती थी। समय बीतने के साथ इस जगह पर भगवान शिव की मूर्ति की स्थापना कर दी गई और आसपास के लोगों के अनुसार बारिश,पानी और मौसम के बदलाव को देखते हुए दिल्ली की एक महिला टूरिस्ट ने इसपर छत डलवा दी। तब से आज तक यह मंदिर अभी भी बरकरार है। एक औरत हर रोज इस मंदिर की सफाई करती है और इसमें ज्योत जलाई है, पुजारी जी सुबह से शाम तक यहाँ बैठे रहते है। मसूरी रोड पर सफर करने वाले लोग इस मंदिर को अक्सर देखते होंगे लेकिन शायद ही किसी को यह सब पता होगा।

इस मंदिर की यह बनावट कहीं ना कहीं यह दर्शाता है कि प्रकृति की शक्ति से बढ़कर भी एक शक्ति है जिसने भारी लैंडस्लाईड के बाद भी इस मंदिर को ज्यों का त्यों खड़ा रखा है। एक और बात जो खास है इसको बनाने वाले यानि की उसकी प्राचीन संरचना जिसमें इतनी ताकत थी कि मंदिर टेढ़ा हो गया लेकिर ढ़हा नहीं।

बावड़ी
बावड़ी

मंदिर के सामने गांव वालों से पूछने पर पता चला कि वह लोग इस मदिर को ”शिव बावड़ी मंदिर” कहते हैं क्योंकि मंदिर के पीछे एक पुरानी बावड़ी है। मंदिर में शिव जी की प्रतिमा के साथ ही, मां दुर्गा, हनुमान जी और भी देवी देवाताओं की मूर्ति है। मानने वाले आज भी इस मंदिर में बैठ कर पूजा-पाठ,भजन अर्चना करते हैं।

तो अब जब आप अगली बार ओल्ड मसूरी रोड से गुजरे तो इस मंदिर की तरफ देखें तो एक बार मथ्था टेक कर जरुर जाएं।