भूजल बोर्ड पर पड़ा आवेदनों का बोझ

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देहरादून। एनजीटी के आदेश के मुताबिक 31 दिसम्बर तक भूजल दोहन करने वाले उद्योग, होटल, स्कूल-कॉलेज, शॉपिंग कॉम्पलेक्स, आवासीय परियोजनाओं आदि को केंद्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन करना है। ताकि भूजल दोहन नियंत्रित किया जा सके और यह आंकड़ा भी स्पष्ट हो पाए कि भूजल दोहन की स्थिति किस प्रदेश में कैसी है।

वहीं, उत्तराखंड में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की डेडलाइन समाप्त होने को है। बावजूद इसके अभी तक महज एक हजार के आसपास ही आवेदन आ पाए हैं। हालांकि, भूजल बोर्ड इन्हीं आवेदनों के बोझ तले दबा नजर आ रहा है। इसकी वजह है आवेदनों के सत्यापन व उन्हें पास करने की जिम्मेदारी का भार महज तीन अधिकारियों पर है।
केंद्रीय भूजल बोर्ड के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय का ही आकलन मानें तो अभी करीब 35 हजार और आवेदन प्राप्त होने हैं। वहीं, बोर्ड सितम्बर माह में प्राप्त हुए आवेदनों का ही निस्तारण कर पाया है, जबकि अभी अक्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर के आवेदनों का निस्तारण किया जाना शेष है, ऐसे में यदि आखिरी समय में आवेदनों की संख्या एकदम से बढ़ी तो बोर्ड अधिकारियों पर बोझ और बढ़ जाएग। भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय प्रमुख अनुराग खन्ना का कहना है कि उनके कार्यालय में 22 पद स्वीकृत हैं, जबकि स्थाई रूप से छह कार्मिक ही कार्यरत हैं और भूजल दोहन के आवेदनों के निस्तारण का जिम्मा उनके अलावा सिर्फ अन्य दो अधिकारियों के पास है।
डेडलाइन बढ़ाने के संकेत नहीं
बोर्ड के क्षेत्रीय प्रमुख खन्ना के अनुसार एनजीटी की डेडलाइन अभी 31 दिसम्बर है। फिलहाल इसके आगे बढ़ने के कोई संकेत नहीं मिल रहे। लिहाजा, बेहतर इसी में है कि जो प्रतिष्ठान एनजीटी के आदेश के दायरे में आ रहे हैं, वह भूजल दोहन को लेकर ऑनलाइन आवेदन कर लें।
मैदानी क्षेत्रों में ही प्रतिष्ठानों की संख्या 31 हजार पार
एनजीटी के निर्देश के दायरे में आने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या जनगणना 2011 के अनुसार 68 हजार के पार है, जबकि सबसे अधिक भूजल का दोहन देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर व नैनीताल जिले में किया जाता है और यहां एनजीटी के निर्देश के दायरे में आने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या 31 हजार 500 से अधिक है। मैदानी क्षेत्रों में ही भूजल दोहन की बात स्वीकार की जाए और यह माना जाए कि यहां के कम से कम 25 फीसद प्रतिष्ठान ही भूजल का दोहन कर रहे हैं, तब भी यह आंकड़ा 7800 से अधिक होना चाहिए। हालांकि, भूजल बोर्ड में राज्य से 35 हजार आवेदन मिलने की उम्मीद है।
इस श्रेणी के लिए भूजल दोहन का आवेदन जरूरी
यदि उद्योग (फैक्ट्री, वर्कशॉप आदि) स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, होटल, लॉज, गेस्ट हाउस आदि भूजल दोहन कर रहे हैं तो उन्हें इससे पहले केंद्रीय भूजल बोर्ड में आवेदन करने की अनिवार्यता की गई है।