गर्मियों के मौसम में तो आपने खूब उत्तराखंड के पहाड़ों और वादियों के मज़े लिए होंगे। लेकिन आपने अगर सर्दियों में उत्तराखंड की ट्रैकिंग का मज़ा नहीं लिया तो क्या किया। हिमालय की गोद में ऐसी कई ट्रैकिंग स्पॉट्स हैं जिनके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते। उत्तराखंड के ट्रैक न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में ट्रैकिंग का शौक रखने वालों की विश लिस्ट में शामिल है। ट्रैकिंग करने से किसी भी जगह की परंपरा, संस्कृति और उस जगह की खूबसूरती का असल अंदाज़ा लगता है न जाने क्यों जब हम ट्रैकिंग की बात करते हैं तो लोगों को लगता है कि बहुत मुश्किल होते होंगे। लेकिन हम यहां कुछ आसान ट्रैकिंग विकल्प लेकर आएं हैं, जिसे आमतौर पर मुमकिन बनाया जा सकता है। नैनीताल की बोटिंग, जिम कॉर्बेट की सफारी तो आम है। पर अब बारी है उत्तराखंड की ट्रैकिंग के एडवेंचर को एक्सप्लोर करने की। तो कमर कस लिजिए और चलिए एक अद्भुत सफर पर हमारे साथ।
- पहले बात सबसे आसान ट्रैक माने जाने वाले चंद्रशिला की जो चोपता से शुरू होता हैः
- नाम-चंद्रशिला, जगह-चोपटा, उत्तराखंड
- हाइलाइट-चारों तरफ हिमालय पर बर्फ की चादर, केदार से नंदा देवी तक का नज़ारा
- दिन- 2 दिन
- ऊंचाई- 3680 मी. से 4000 मी.
- दूरी-10 किमी से 13 किमी (आना और जाना)
यात्रा के दौरान शिव का मंदिर, दिलकश झील, पहाड़ी गांव, चोपटा की घाटी के नज़ारे और एक से बढ़कर एक पंछी। किसी स्वर्ग से कम नहीं लगते। पर ध्यान रहे चंद्रशिला जनवरी के महीने में बेहद मुश्किल हो सकता है।नंवबर और दिसंबर सही समय है।
यहां सबसे नज़दीक रेलवे स्टेशन हरिद्वार और एयरपोर्ट जौली ग्रांट, देहरादून है
2. ऑली- गैरसैण बुग्याल ट्रैक जन्नत का दूसरा नाम है। ट्रैक ऋषिकेश से शुरु होकर जोशीमठ फिर ऑली की बर्फ की पहाड़ियों से होते हुए गोरसन बुगियाल पर खत्म होता है। देवदार चीड़ के पेड़ रास्ते को और हसीन बना देते हैं।
- नाम-देउरीताल
- जगह-सरी, उत्तराखंड
- हाइलाइट-गढ़वाली हिमालय की चोटियां जिन्हें चौखंबा कहते हैं. बर्फ से ढकी पहाड़ियां
- दिन- 1 दिन
- ऊंचाई-2450 मी
- दूरी-3 से 4 किमी.
यह ट्रैक भी काफी आसान माना जाता है
3. हर की दून बच्चे के पालने के आकार का ट्रैक है। यहां की घाटी गोविंद नेशनल पार्क से जुड़ी है। रास्ते में सदियों पुराने गांव आते हैं। हरे भरे जंगल। जंगली जानवर जैसे भालू,सुअर दिख जाए्ं तो हैरानी न हों। माना जाता है कि पांडवों ने भी इस जंगलों में काफी समय बिताया है। दुर्योधन की तपस्या सबसे चर्चित है। इसलिए इसे देवों की घाटी भी कहा जाता है।यहां की चट्टानों का दृश्य सबसे अद्भुत है।
- नाम- हर की दून
- जगह-संकरी, उत्तराखंड
- हाइलाइट-स्वर्गरोहिणी के नज़ारे और जौनदार बर्फ की चोटियां
- दिन-4-5 दिन
- ऊचांई-3500 मी.
- दूरी-54 किमी.( आना जाना)
4. डोडीताल ट्रैक पहली बार ट्रैकिंग करने वालों के लिए सबसे अच्छा है। ट्रैंकिग की शुरूआत संगमछत्ती से होती है उसके बाद अगोड़ा गांव से बेबरा गांव तक जाते हैं। गांव के लोगों के बीच पारंपरिक तौर तरीके से जीने का मज़ा लेते है।बेबरा गांव में राजमा, फली और आलू के खेत देख कर दिल खुश हो जाता है,फिर मंझी में सारी रात कैंप लगता है। और डोडीताल के खुले आसमान में घूमते पंछी मानो सोने पर सुहागा फिर आखिर में दारवा पास की सीधी चढ़ाई होती है।
- नाम-डोडीताल
- जगह- संगमछत्ती
- दिन- 5-8 दिन
- ऊंचाई-3307 मी
- हाइलाइट- अस्सी गंगा, रात भर कैंप लगाना सुरक्षित है। टेढ़ेमेढ़े रास्ते, दिल लुभा देने वाले नज़ारे
5. केदार कंठ ट्रैक को प्रकृति का अनमोल रहस्य कहें तो गलत नहीं होगा।संकरी से शुरू होते होते जादू तालाब के रास्ते जाते जाते मन मोहने वाली झील की ओर ले जाते हैं। पूरे सफर में घने जंगल भी आते हैं।
- नाम- केदार कंठ
- जगह-बरसू
- दिन-5-8 दिन
- दूरी-28 किमी
- ऊंचाई-1828 मी. से 3810 मी.
- हाइलाइट- मंसूरी, केंपटी फॉल, टन्स और वैली संकरी
सैलानियों को ट्रैकिंग करते वक्त एक बात ध्यान रहे कि ये किसी गाइड की मदद लेना न भूलें। सर्दियों की दस्तक के साथ अपनी छुट्टियों को बना लीजिए यादगार और ज़रा हट के।