परवान नहीं चढ़ी योग से पर्यटन को बढ़ावा देने की कवायद

0
753
परमार्थ निकेत
FILE

विकासनगर। प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देकर आर्थिकी का प्रमुख साधन बनाने के भले की दावे किए जा रहे हों लेकिन इन दावों को धरातल पर अमलीजामा पहनाने के लिए जिम्मेदार कितने संवेदनशील हैं इसका अंदाजा योग ग्राम की अवधारणा से लगाया जा सकता है।
प्रदेश में औषधीय पादपों को बढ़ावा देने व योग के माध्यम पर्यटन को विकसित करने के लिए कांग्रेस शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गत वर्ष देहरादून जनपद के हनोल, देववन सहित कुल तेरह गांवों को योग ग्राम के रूप में चयनित किया था। तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी योग ग्राम की अवधारणा घोषणा से आगे नहीं बढ़ पाई है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में योग व पर्यटन के माध्यम से आर्थिक संसाधन बढ़ाने की उम्मीद भी धूमिल हो चुकी है।
एक ओर प्रदेश सरकार 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा तीन वर्ष पूर्व चयनित योग ग्राम आज भी घोषणा के धरातल पर आकार लेने की बाट जोह रहे हैं। प्रदेश में पर्यटन को योग से जोड़ने व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में औषधीय पादपों के उत्पादन को बढ़ावा देन के साथ ही ग्रामीण युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने तीन वर्ष पूर्व देहरादून जनपद के हनोल, देववन सहित कुल तेरह गांवों को योग ग्राम के रूप में चयनित किया किया था। हनोल को योग ग्राम चयनित करने से यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जगी थी जबकि देववन में औषधीय पादपों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाना था। चयनित योग ग्रामों को इससे गांव के विकास की आस के साथ ही रोजगार के साधन मुहैया होने की उम्मीद भी जगी थी। लेकिन तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी योग ग्राम की अवधारणा घोषणा से बाहर निकलकर धरातल पर आकार नहीं ले पाई है। हालांकि इस बीच योग को बढ़ावा देने के कई दावे किए जाते रहे हैं। बहरहाल, योग ग्राम की अवधारणा के मूर्तरूप नहीं लेने से ग्रामीण क्षेत्रों में योग व औषधीय पादपों के माध्यम से विकास की उम्मीद भी धूमिल होने लगी है।