ऋषिकेश। ठंड की शुरुआत के बीच तीर्थ नगरी की हसीन वादियां पर्यटकों को खूब लुभा रही हैं। रोजाना बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आ रहे हैं। इनमे विदेशी पर्यटकों की तादाद भी अच्छी खासी देखने को मिल रही है।
बद्रीनाथ धामपात के बाद देवभूमि में ठंड का असर दिखने लगा है। खुशगवार मौसम के बीच तीर्थ नगरी का शांत वातावरण और यहां की नैसर्गिक सुंदरता खूब भा रही है। इस वर्ष शरद ऋतु के आगाज में भी तीर्थाटन के लिए यहां आने वाले श्रद्धालुओं के साथ पर्यटकों की भी अच्छी खासी भीड़ उमड़ी रही है।
खेलों के रोमांच के साथ योग की शांति के लिए सात समुन्दर पार से आये विदेशी पर्यटक भी इस भीड़ के सैलाब मे शामिल हैं। ऋषिकेश के मठों-मन्दिरों में धार्मिक अनुष्ठानों के बीच संतों-महात्माओं के अमृत प्रवचनों से आध्यात्मिकता के शीर्ष पर पहुंचा जा सकता है, इसे अब महसूस किया जाने लगा है। तीर्थ नगरी के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो इस स्थल को प्राचीन काल में कई ऋषि-मुनियों ने अपनी साधना के लिए चुना था। शिवालिक पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में प्राकृतिक खूबसूरती के बीच सुबह-शाम गूंजने वाली वेद ऋचाएं यहां की अध्यात्मिक शांति की संजीवनी हैं। यहीं से गंगा की धारा शांत-संयमित होकर गंगासागर की ओर बढ़ती है। योग-ध्यान के इस केंद्र को आठवीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने भी हिमालय गमन से पहले अपना पड़ाव बनाया था। महर्षि महेश योगी ने इस स्थल को कर्मभूमि बनाया और ‘चौरासी कुटी’ की स्थापना की। इन सबके बीच योग ध्यान और अध्यात्म की इस पावन भूमि में पर्यटकों की बढ़ती आमद से यहां का बाजार भी चहका है।