कुमाऊं में पर्यटकों को भा रहा पुराने घरों में ”होमस्टे”

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    कुमाऊं की यात्रा करने वाले पर्यटक अब पहाड़ी संस्कृति और व्यंजनों के और अधिक प्रामाणिक अनुभव के लिए होटल को भूल कर घरों में रुकना पसंद कर रहें हैं।  कुमाँऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के प्रबंध निदेशक धीराज गारबैली ने बताया कि जून में 300 से अधिक ट्रेकर्स ने आदि कुटी और नवी के दूरस्थ गांवों में घरों में रहने का फैसला किया जो गांव पिथौरागढ़ जिले के व्यास घाटी में हैं।

    गरबयाल ने कहा कि कुटी में होमस्टे पिछले दो साल से चल रहा है जबकि इस साल केएमवीएन द्वारा नवी में इस अवधारणा की शुरूआत की गई है। उन्होंने बताया कि, “हमें उन यात्रियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है जो इन दूरदराज के गांवों को अपने रुकने के लिए चुनते हैं। रुकने वाले यात्री कहते हैं कि इसके जरिए उन्हें स्थानीय निवासियों के साथ बातचीत करने का मौका मिलता है, साथ ही पहाड़ों की संस्कृति के प्रामाणिक अनुभव और विसर्जन को ज्यादा करीब से समझने का मौका मिलता है।

    गरबयाल के अनुसार नवी में 20 परिवारों को केएमवीएन स्टाफ द्वारा आतिथ्य प्रशिक्षण दिया गया है। पर्यटक मौसम के तीन महीनों में यह परिवार 15,000/- रुपये से 20,000/- रुपये तक कमा सकते हैं। हाल ही में नवी में रहने वाले पर्यटक अरविंद जोशी ने कहा कि, “स्थानीय जीवनशैली, परंपरागत कपड़े और अनुष्ठानों के बारे में सीखने में हमें बहुत अच्छा लगा। हमारे समूह के कई यात्रियों ने रूंग जनजाति के पारंपरिक कपड़े पहनने की कोशिश की। “

    केएमवीएन पंचचुली पहाड़ों के आधार शिविर के पास दंतू गांव में होमस्टे प्रोग्राम शुरू करने की भी योजना बना रहा है। गरबयाल ने कहा कि, “हम अगस्त 2017 से पहले दंतू गांव में होमस्टेम शुरू करने की उम्मीद कर रहे हैं जब दर्मा घाटी में एक बड़ा मेला आयोजित किया जाना है।” केएमवीएन ने भी पिछले साल अल्मोड़ा जिले के बिन्सर वाईल्डलाईफ में  होमस्टे की शुरूआत की थी।