केदारनाथ यात्रा के दौरान उठाएं पहाड़ी खाने का लुत्फ

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2001

इस बार केदारनाथ आने वाले यात्री पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ भी ले सकेंगे। यात्रा प्रशासन ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि, ”जितने भी होटल,ढ़ाबा और रेस्टोरेंट हैं उनके साथ हम एक मीटिंग कर चुके है,बड़े होटलों में जिनके मेनु में चाइनिज़, ईटेलियन, इंडियन क्यूज़िन है उन्हें कहा गया है कि वह एक मेनु गढ़वाली क्यूजिन का भी रखे।” डीएम घिल्डियाल ने कहा कि, “केदारनाथ दर्शन के लिये तकरीबन 10 लाख यात्री आते हैं जिन्हें पहाड़ी व्यंजनों के बारे में नहीं पता होता है, हम चाहते हैं कि देश के कोने-कोने से जो लोग उत्तराखंड आते हैं उन्हें ना केवल पहाड़ी खाना, बल्कि पहाड़ी जूस औऱ स्क्वॉश जैसे कि मालटा, बुरांस के बारे में पता चले। हम शासन द्वारा मान्यता प्राप्त दुकाने जोकि गौरीकुंड से केदारनाथ तक है उन्हें लोकल जूस औऱ स्क्वॉश बेचने की बात कर रहे ताकि दुकानदारों को क्षत्रीय फसल से आमदनी के साथ-साथ बाहर से आए टूरिस्टों को भी पहाड़ के फ्लेवर का पता चल सके।”

केदारनाथ यात्रा आगामी 29 अप्रैल से शुरू हो रही है, इसे देखते हुए प्रशासन यात्रा व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करने में जुट गया है। विशेषकर इस बार प्रशासन का जोर यात्रियों को स्थानीय सरोकारों से परिचित कराने पर रहेगा। इसके लिए प्रशासन ने केदारनाथ में स्थानीय उत्पादों से तैयार प्रसाद चढ़ाने की पहल की है। इसी कड़ी में अब केदारनाथ यात्रा मार्ग के पड़ावों पर संचालित हो रहे होटल, ढाबा व रेस्टोरेंट में पहाड़ी व्यंजन परोसने की तैयारी है।

होटल, ढाबा व रेस्टोरेंट स्वामियों से कहा गया है कि वे अपने मैन्यू में रोटी, गहत की दाल, फाणू, कढ़ी, चैंसू, झंगोरे की खीर आदि आइटमों में से कुछ न कुछ व्यंजन अवश्य शामिल करें। ताकि देश-विदेश से आने वाले यात्री व पर्यटक पहाड़ी खानपान, यहां की संस्कृति एवं परंपराओं को जान-समझ सकें। इससे बाहरी प्रदेशों में उत्तराखंडी उत्पादों की मांग बढऩे से काश्तकारों की आमदनी में भी इजाफा होगा। जिलाधिकारी ने बताया कि प्रशासन स्थानीय युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में रोजगार से जोडऩे के लिए कार्य कर रहा है।