ऋषिकेश, दीपावली पर्व से पूर्व बुधवार को नगर में दीयों की रिकार्ड बिक्री हुई। पिछले 10 वर्षों के मुकाबले इस वर्ष सर्वाधिक दीए बिके, जिससे दीया विक्रेताओं के चेहरे खिल उठे हैं। इसे सोशल मीडिया का प्रभाव कहें या स्वदेशी भावना। कारण जो भी हो, लेकिन सुखद तथ्य यह है कि विगत वर्षों की तुलना में इस वर्ष दीपावली पर्व पर मिट्टी के परंपरागत दीपकों की बिक्री में इजाफा हुआ है।
बाजारों में साधारण दिए से लेकर डिजायनर दीपकों की अनेकों दुकानें सजी मिली हैं। विगत वर्षों में दीपमाला प्रकाश की जगह रंग-बिरंगी चाइनीज झालरों, बिजली वाले दीपकों की लड़ी, झालरों व मिट्टी के दीपकों की जगह मोमबत्ती का चलन बढ़ा था, लेकिन इस वर्ष चाइनीज आइटमों की बिक्री में काफी कमी आयी है। लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया पर चीनी वस्तुओं न खरीदने की प्रेरणा वाले संदेशों के प्रभाव से जनमानस में स्वदेशी की भावना बलवती हुई है, जिसके परिणाम स्वरूप मिट्टी के दीपक खूब बिक रहे हैं।
दीपक बेचने वाले दुकानदारों ने बताया कि मिट्टी के साधारण दीपक 40 रुपये सैकड़ा व डिजायनर दीपक तीन रुपये का है। अधिकांश लोग छतों व दरवाजों में दीपकों की कतार बनाने के लिए साधारण दीपक व पूजन के लिए डिजायनर दीपक खरीद रहे हैं। पर्व की पूर्व संध्या पर मुर्खजी बाजार में इस कदर ग्राहकों की भीड़ दीयों को खरीदने के लिए उमड़ी कि तिल रखने की जगह भी दिखाई नहीं दी।