देहरादून ट्रैफिक पुलिस ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक नई पहल के तहत सिटी बसों की सभी सीटों में हर सीट यानि की कुल 40 सीटों पर उत्तराखंड की विसिल यानि की सीटी टांग दी थी। यह सीटी बस में सफर करने वाली महिलाओं और लड़कियों के लिए लगाई गई थी, ताकी सफर के दौरान अगर आपके साथ कोई छेड़-छाड़ या बदसलूकी करता है तो आप उस सीटी को बजा सकते हैं।
महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यातायात निदेशालय की पहल पर बसों के प्रत्येक सीट पर सीटियां लगाई गर्इ थी। लेकिन असमाजिक तत्वों ने बसों से कई सीटियां ही गायब कर दी हैं।
उत्तराखंड पुलिस ने महिला सुरक्षा के लिए ‘आवाज’ नाम की योजना के तहत देहरादून की 60 सिटी बसों (सार्वजनिक यातायात वाहनों) में प्रत्येक सीट पर एक सीटी लगाई थी, जिन पर उत्तराखंड पुलिस लिखा हुआ था। बस में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ की घटना होने पर महिला अपनी आवाज इस सीटी को बजाकर उठा सकती थी। बसों में सीटी लगने से मनचलों पर लगाम लगी थी। बसों में छेड़छाड़ की घटनों में भी कमी आई थी।
इस पहल का महिलाओं ने स्वागत भी किया था, मगर कुछ असामाजिक तत्वों ने इन सीटियों को चोरी करना शुरू कर दिया है। सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजयबर्धन डंडरियाल ने बताया कि, “बसों की कई सीटों से सीटी चोरी हो गई हैं तो कहीं,सीटी और चेन दोनों गायब हैं, पुलिस इस पर कार्रवाई कर दोबारा बसों में सीटी लगवाए।”
इस बारे में बात करते हुए ट्रैफिक निदेशक केवल खुराना ने कहा कि, ”हम महिलाओं की सुरक्षा के लिए अलग-अलग पहल कर रहे हैं। अगर किसी के पास कोई बेहतर तरकीब है जिससे चलती गाड़ी में लड़कियों/महिलाओं को सुरक्षा मिल सके तो कृपया हमें बताऐं।” खुराना ने कहा कि, “जबसे हमने ‘आवाज ‘की शुरुआत की है तबसे हमारे पास बसों में होने वाली छेड़छाड़ की कोई शिकायत नहीं आई है और इस उपाय से लोगों को फायदा तो हुआ ही है।” केवल खुराना ने कहा कि, “हमने भी सर्वे किया है और हम जानते हैं कि सीटियां गायब हुई है, और इसके लिए ना केवल पुलिस को बल्कि आसपास बैठे पैंसेंजर को भी सजग होना चाहिए की लोग ऐसा ना करें यह सबका फर्ज़ है।जिन सिटी बसों से सीटी गायब हुई है उनके कंडक्टर के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। केवल खुराना ने कहा कि, “मैं सभी से निवेदन करुंगा कि जो भी बस में सफर करते हैं और लोगो को सीटी गायब करते देखे हमें बताए, उन्हें ट्रैफिक पुलिस की तरफ से ईनाम दिया जाएगा।”
खुराना ने लोगों से गुज़ारिश की लोग अपनी जिम्मेदारी समझें और अपने लिए खुद सर्तक रहें। बहरहाल ये दून के लिये शर्म की बात ही होगी कि अव्वल तो हम अपनी महिलाओँ को सुरक्षित वातावरण नहीं दे पा रहे और जब पुलिस ऐसी कोशिश करती है तो नतीजा ये रहता है।