उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि, “सर्वधर्म समभाव व सबका साथ-सबका विकास की भावना ही सच्ची देशभक्ति है। अपनी माता, जन्म भूमि, मातृभाषा व गुरू का सदैव सम्मान करें। छात्र नव-भारत के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाएं। उपराष्ट्रपति आईआईपी में आयोजित इक्फाई विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि, “दुनिया में देश का मान बढ़ा है। हमें इन अवसरों का उपयोग देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में करना चाहिए।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि, “शिक्षा को रोचक के साथ ही नए ज्ञान व तकनीक के अनुरूप बनाना होगा। हमारे विश्वविद्यालय विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची में अपना स्थान नहीं बना सके हैं। इसे हमें एक बड़ी चुनौति के तौर पर लेना चाहिए। छात्रों को कुछ समय गांवों में बिताना चाहिए।”
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने उपाधि धारक छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए आज दुनिया, सूचना तकनीकि के कारण ग्लोबल विजेल में सिमट रही है। छात्रों को यह ज्ञान होना चाहिए कि नवीन ज्ञान तक कैसे पहुंचा जाए, कैसे उसे जीवन में ग्रहण किया जाए। समन्वय, सहयोग व प्रतिस्पर्धा की भावना हो। हमारा लक्ष्य उत्कृष्टता व कार्यक्षमता में सुधार होना चाहिए। आज दुनिया बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है और कड़ी प्रतिस्पर्धा है। एल.पी.जी का युग है अर्थात लिबराईजेशन, प्राईवेटाईजेशन व ग्लोबलाईजेशन।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज छात्रों के समक्ष अनेक अवसर होने के साथ ही अनेक चुनौतियां भी हैं। प्रधानमंत्री मोदी सुधारों को ठोस तरीके से लागू कर रहे हैं। कई तरह की चुनौतियां आती हैं, और इन पर विजय भी प्राप्त की जाती है। जैसे कि जीएसटी लागू करते समय कई तरह की आशंकाएं व्यक्त की गई परंतु अब यह हमारी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रही है। बड़े पैमाने पर आर्थिक व सामाजिक सुधार की योजनाएं प्रारम्भ की गई हैं। इनमें स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, नदियों का पुनर्जीवन, स्मार्ट सिटी, स्किल इंडिया, सभी के लिए आवास, डिजीटल इंडिया, मेक इन इंडिया आदि हैं। सभी देश आज भारत की ओर देख रहे हैं। हमें रिफार्म, परफोर्म व ट्रांसफोर्म को अपनाना होगा। सुधार, क्रियान्वयन व देश का रूपांतरण। एक जमाने में भारत विश्व गुरू के तौर पर माना जाता था। अब एक बार फिर दुनिया में देश का मान बढ़ा है। हमें इन अवसरों का उपयोग देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में करना चाहिए। विकास समावेशी होना चाहिए। विकास का लाभ गरीब से गरीब लोगों तक पहुचना चाहिए। हर व्यक्ति को यह महसूस हो कि वह आगे बढ़ते भारत का हिस्सा है। भारत सरकार व राज्य सरकारों ने अनेक योजनाएं प्रारम्भ की हैं। इन योजनाओं का क्रियान्वयन पूरी पारदर्शिता व जवाबदेही के साथ हो।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारी युवा शक्ति है। उन्होंने युवाओं से बड़े सपने देखने व बडे़ लक्ष्य रखने के साथ ही कठिन परिश्रम करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की यह उक्ति कि जागो, उठो व तब तक न रूको जब तक लक्ष्य तक पहुंच न जाओ’ आज की परिस्थितियों में और भी ज्यादा प्रासंगिक है। विज्ञान व तकनीक, समाज व मानवता की बेहतरी के लिए होते हैं। हमें प्रकृति का ध्यान रखना चाहिए। संरक्षित प्रकृति से ही सुरक्षित भविष्य सम्भव है।
मुख्यमंत्री कहा कि, “यह अवसर स्नातकों को अपनी दीक्षा व शिक्षा को पूर्णकर दीक्षांत के बाद जीवन के गंतव्य की ओर बढ़ने का है। ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती, यह केवल एक पड़ाव है, जहां आप अपनी शिक्षा पूरी करके जा रहे हैं। इसलिए आपके सामने समाज के लिए कुछ करने और योगदान देने की बड़ी अहम जिम्मेदारियां हैं।”